Election Result 2024: यूपी में BJP की दयनीय स्थिति के ये रहे कारण

ऐसा तो भाजपा ( Bhartiya Janata Party ) के शीर्ष नेताओं ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। पीएम नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi) ने अबकी बार चार सौ पार का जो लक्ष्‍य तय किया था और जो इस चुनाव में भाजपा का आम नारा बन गया था,वह उत्‍तर प्रदेश के बल पर ही था। लेकिन जो नतीजे आए वे चौंकाने वाले थे। भाजपा 2019 के प्रदर्शन से भी बहुत पीछे रह गई।

उत्तर प्रदेश में BJP की हार से योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर उठने लगे सवाल
Written By : रामधनी द्विवेदी | Updated on: June 4, 2024 8:07 pm

अभी तक जो संकेत हैं उससे उसे 35 सीटों से भी मिलती कम दिख रही हैं। भाजपा ने परिणामों के कारण तलाशने के लिए बैठकें शुरू कर दी हैं। आज मंगलवार की शाम मुख्‍यमंत्री के आवास पर वरिष्‍ठ नेताओं की बैठक हुई जिसमें दोनों उप- मुख्‍यमंत्री उपस्थित थे।

सपा का प्रदर्शन बेहतर

सपा ने अब तक का अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। उसे अकेले 37 के आसपास सीटें मिलती दिख रही हैं। हालांकि आंकड़े ऊपर नीचे हो रहे हैं लेकिन अंतिम परिणाम इन्‍हीं के आसपास ही रहेगा। कांग्रेस ने भी अच्‍छा किया। उसे छह सीटें मिलती दिख रही हैं। रायबरेली से राहुल गांधी का जीतना तो तय माना जा रहा था लेकिन अमेठी से स्‍मृति ईरानी की हार चौंकाती है। सबसे चकित करने  वाला परिणाम अयोध्‍या ( फैजाबाद) (Ayodhya-Faizabad)  का है। वहां सपा प्रत्‍याशी की जीत बता रही है राममंदिर का मुद्दा भाजपा  को लाभ नहीं पहुंचा सका। वाराणसी से मोदी जीत तो गए लेकिन जीत का अंतर बहुत घट गया है।

नतीजों का विश्‍लेषण   

चुनाव विश्‍लेषक यूपी के चुनावों नतीजों का विश्‍लेषण कर रहे हैं। लोग तो उम्‍मीद कर रहे थे कि भाजपा इस बार 2019 के नतीजों ( 62) से बेहतर करेगी लेकिन जो परिणाम आए वे तो सभी को चौंकाने वाले थे। सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav)  तो सभी सीटें जीतने का दावा कर रहे थे। इसे चुनावी बोल ही माना जा रहा था। लेकिन उनकी चुनावी सभाओं में जो भीड़ उमड़ रही थी, वह भविष्‍य का कुछ संकेत तो कर रही थी। उत्‍साह में उनके समर्थक मंच पर चढ़े जा रहे थे।

सपा कांग्रेस गठबंधन का लाभ

अखिलेश यादव ने पिछला लोकसभा चुनाव बसपा (BSP)  के साथ मिल कर लड़ा था लेकिन उन्‍हें इसका कोई लाभ नहीं मिला। इस बार बसपा अकेले चुनाव लड़ी थी और अभी तक उसका खाता भी नहीं खुला। लेकिन कांग्रेस के साथ सपा का गठबंधन दोनों के लिए लाभकारी रहा। देखना होगा कि वे कौन से कारक थे जिनसे भाजपा को नुकसान और गठबंधन को फायदा हुआ।

किसका वोट किसको मिला

यदि नतीजों को यूपी के नक्‍शे पर देखें तो साफ जाहिर होता है कि पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में मुरादाबाद ( Moradabad)  से जालौन ( Jalaun) तक सभी सीटों पर सपा ने बढ़त बनाई। यह रुहेलखंड और बुंदेलखंड का इलाका है। यहां ओबीसी और मुस्लिम मतदाताओं ने आंख मूंद कर सपा पर भरोसा किया। यही हाल पूर्वी उत्‍तर प्रदेश का रहा। यहां भी सपा का पिछड़ा, दलित और मुस्‍लिम समीकरण सफल रहा। यह भी अनुमान है कि बसपा के कुछ वोट भी सपा के ही प्रत्त्‍याशी को मिले। इन दोनों समुदायों के वोटों ने सपा का बढ़त दिलाई। भाजपा अन्‍य पिछड़ा वर्ग को अपने साथ लाने में सफल नहीं हुई। गठबंधन की जीत इस बात का भी प्रमाण है कि सपा के वोट कांग्रेस को और कांग्रेस के भी वोट सपा को मिले। भाजपा के मतदाता यह सोच कर कि पार्टी तो जीत ही रही है और सरकार बनाएगी ही वोट डालने नहीं निकले। कम मतदान इसी बात का संकेत है। इससे भाजपा के नेता चिंतित भी हुए थे। इसी से उसके वोट प्रतिशत में भी गिरावट देखी गई। चुनाव के मात्र कुछ दिन पहले रालोद के साथ भाजपा के गठबंधन का भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ। उसे जाटलैंड में जाटों का पूरा समर्थन मिलता नहीं दिखा। पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के मजबूत नेता नारद राय का भी आखिरी दिनों में भाजपा में शामिल होना कोई करामात नहीं दिखा सका।

वाराणसी का उदाहरण

वोट के पैटर्न को समझने के लिए वाराणसी में पड़े मतों को देखना चाहिए। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी यहां से तीसरी बार जीते तो जरूर लेकिन हारे प्रत्‍याशी से उनके वोटों का अंतर कम हो गया। उन्‍होंने कांग्रेस के अजय राय को 1,52,513 मतों से हराया। लेकिन जीत का यह अंतर पिछले दो चुनावों से बहुत कम है। उन्‍हें इस बार 2019 की तुलना में लगभग साठ हजार कम वोट भी मिले। 2014 में उन्‍हें 5,81,022 वोट मिले थे और दूसरे नंबर पर रहे आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर रहे अजय राय को 75614 वोट मिले थे। सपा और बसपा प्रत्‍याशी क्रमश: 45 हजार और 43 हजार वोट मिले। इसी तरह 2019 में मोदी को 6,74,664 और सपा की शालिनी यादव को 1,95,159 वोट मिले थे। अजय राय उस समय भी कांग्रेस से ही लड़े थे जिन्‍हें 1,52,548 वोट मिले थे। इस बार अभी शाम छह बजे तक मिली सूचना के अनुसार मोदी को 6,12970 और अजय राय को 4,60,457 और बसपा के अतहर जमाल लारी को 33766 वोट मिले। अजय राय इस बार भी कांग्रेस के ही प्रत्‍याशी  थे। उन्‍हें इस बार तीन लाख से अधिक वोट किसके मिले,यह सोचने की बात है। ये सभी वोट सपा के थे, यादव त‍था तथा मुस्लिम समाज के थे। लारी मुसलमान और बसपा के प्रत्‍याशी होते हुए भी मुसलमानों के वोट नहीं पा सके। यदि इसे एक उदाहरण के रूप में लिया जाय तो यही ध्रुवीकरण अधिकतर सीटों पर माना जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *