गांवों की संस्कृति के संरक्षण पर बल: मकर संक्रांति पर आईजीएनसीए के एनएमसीए ने मनाया प्रतिष्ठा दिवस

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (एनएमसीएम) ने मकर संक्रांति पर अपना प्रतिष्ठा दिवस मनाया।

Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: January 14, 2025 9:35 pm

 पूरे देश ने 14 जनवरी मंगलवार को भगवान सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश के पावन अवसर को ‘मकर संक्रांति’, ‘उत्तरायण’, ‘बिहू’, ‘पोंगल’, ‘खिचड़ी’ आदि विविध पर्वों के रूप में पूरे उत्साह और आस्था के साथ मनाया। इसी शुभ दिवस पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन प्रभाग (एनएमसीएम) ने अपना प्रतिष्ठा दिवस धूमधाम से मनाया।

कार्यक्रम की अधय्क्षता आईजीएनसीए के डीन (प्रशासन) एवं कलानिधि प्रभाग के अध्यक्ष प्रो. रमेश चंद्र गौड़ ने की।
इस अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया और तीन फिल्मों को लोकार्पित भी किया गया। एनएमसीएम के निदेशक डॉ. मयंक शेखर ने अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत किया। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में श्री विमल कुमार सिंह ने ‘भविष्य के गांव’ विषय पर विचार व्यक्त किए, वहीं श्री आशीष कुमार गुप्ता ने ‘भारतीय ग्राम व्यवस्था’ के बारे में एक नई दृष्टि प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में भारत के तीन गांवो पर आधारित फिल्मों का लोकार्पण किया गया। ये गांव हैं- उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में स्थित सिंगरौर उप्रहार, केरल के पतनमतिट्टा जिले के रन्नी तहसील में स्थित अयरूर और असम के मेरीगांव जिले में स्थित जोनबील।
यह सुखद संयोग है कि एनएमसीएम का प्रतिष्ठा दिवस मकर संक्रांति के राष्ट्रव्यापी उत्सव के दिन ही होता है और इसी शुभ अवसर से प्रेरित भी है।

मकर संक्रान्ति का भारतीय संस्कृति, खासकर ग्रामीण संस्कृति में बहुत महत्त्व है। महात्मा गांधी प्रायः कहते थे, “मेरे लिए भारत गांव से शुरू होता है और गांव पर ही खत्म।” गांव भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। संस्कृति रीढ़ है हमारे देश की। भले ही हम शहर में रहें, लेकिन गांव हमारी आत्मा का मूल है। गौरतलब है कि एनएमसीएम के माध्यम से देश के साढ़े छह लाख गांवों के विशिष्ट सांस्कृतिक पहलुओं का संग्रह और दस्तावेजीकरण किया जा रहा है। शहरीकरण ने देश के गांवों के आकार को 20 प्रतिशत तक कम कर दिया है। लगातार बदलते विश्व की चुनौतियों के बीच गांवों के सांस्कृतिक लोकाचार को सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने की बहुत आवश्यकता है। यही महत्त्वपूर्ण कार्य एनएमसीएम कर रहा है। भारत की समृद्ध ग्रामीण संस्कृति के संरक्षण एवं प्रसार के लिए एनएमसीएम पूरे मनोयोग से जुटा हुआ है।

एनएमसीएम के प्रतिष्ठा दिवस का यह आयोजन भारतीय संस्कृति में गांवों के महत्त्व और उनकी प्रगति पर आधारित विचारों को साझा करने और उन्हें प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ।

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