फैक्ट चेक: केंद्रीय मंत्री ने जुकरबर्ग के भारत में चुनाव 2024 के दावे को बताया गलत

मार्क जुकरबर्ग ने 2024 चुनावों में भारत की सत्ता बदलने का दावा किया, जिसे केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने तथ्यात्मक रूप से गलत बताया।

मार्क जुकरबर्ग
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: January 13, 2025 8:20 pm

नई दिल्ली: मेटा के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने हाल ही में जो रोगन के साथ एक साक्षात्कार में 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर दावा किया कि भारत सहित अधिकांश देशों में सत्ता में मौजूद सरकारों को हार का सामना करना पड़ा। उनके इस बयान को केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पूरी तरह गलत करार दिया है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मार्क जुकरबर्ग का दावा तथ्यात्मक रूप से गलत है। भारत के 2024 के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने जीत हासिल की।”

मंत्री ने एक्सपर किया पोस्ट

अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जुकरबर्ग के दावे को खारिज करते हुए लिखा, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत ने 2024 में 640 मिलियन से अधिक मतदाताओं के साथ चुनाव संपन्न किए। जनता ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर अपना भरोसा फिर से जताया।”

जुकरबर्ग का विवादित बयान

अपने इंटरव्यू में जुकरबर्ग ने दावा किया कि कोविड-19 महामारी के कारण दुनियाभर में सरकारों के प्रति जनता के भरोसे में कमी आई, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, “2024 का साल दुनियाभर में चुनावों के लिए बड़ा साल था। भारत जैसे देशों में चुनाव हुए, और लगभग सभी जगह सत्ता में मौजूद सरकारें हार गईं। यह एक वैश्विक घटना प्रतीत होती है – चाहे वह मुद्रास्फीति के कारण हो, कोविड से निपटने के लिए बनाई गई आर्थिक नीतियों के कारण या कोविड प्रबंधन के तरीके के कारण।”

मंत्री ने दिया जवाब

केंद्रीय मंत्री ने जुकरबर्ग के बयान को खारिज करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी की निर्णायक तीसरी बार की जीत अच्छा शासन और जनता के भरोसे का प्रमाण है।”

वैश्विक प्रतिक्रिया

जुकरबर्ग के इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद खड़ा हो गया। कई विशेषज्ञों और संगठनों ने इसे गलत जानकारी फैलाने वाला बयान बताया।

अंतरराष्ट्रीय फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) ने खुली चिट्ठी में कहा, “कुछ देश ऐसी गलत जानकारी से अत्यधिक प्रभावित हो सकते हैं, जो राजनीतिक अस्थिरता, चुनावों में हस्तक्षेप, भीड़ हिंसा और यहां तक कि नरसंहार जैसी घटनाओं को जन्म दे सकती है।”

जुकरबर्ग ने किया बचाव

जुकरबर्ग ने इंटरव्यू में अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उनके फैसले को जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास ‘1984’ की तरह देखा जा सकता है। उन्होंने कहा, “फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम को फ्री स्पीच पर प्रतिबंध के रूप में देखा जा रहा है, जो पूरी तरह गलत है।”

जुकरबर्ग के बयान पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी नाराजगी जताई और इसे “शर्मनाक” करार दिया।

भारत और दुनियाभर में इस बयान को लेकर चर्चा जारी है। विशेषज्ञ इसे सोशल मीडिया के प्रभाव और गलत जानकारी के प्रसार के संदर्भ में देख रहे हैं।

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