जॉली एलएलबी 3 की कहानी राजस्थान के एक किसान परिवार से शुरू होती है। ज़मीन अधिग्रहण के दबाव में किसान राजाराम सोलंकी आत्महत्या कर लेता है और यह मामला दिल्ली की अदालत तक पहुंचता है। यहां दोनों वकील अपने-अपने पक्षों को साबित करने में भिड़ जाते हैं। फिल्म की पटकथा पहले आधे हिस्से में थोड़ी धीमी लगती है, लेकिन इंटरवल के बाद गति पकड़ती है और क्लाइमेक्स दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ता है।
अभिनय और पात्र
अक्षय कुमार और अरशद वारसी की जोड़ी फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है। दोनों की कोर्टरूम नोकझोंक और संवादों की टक्कर मनोरंजन के साथ-साथ गंभीर सवाल भी उठाती है। सौरभ शुक्ला एक बार फिर जज त्रिपाठी के किरदार में लाजवाब हैं। उनका हास्य और गंभीरता का संतुलन फिल्म को मजबूती देता है। गजराज राव और ह्यूमा कुरैशी जैसे कलाकार सीमित स्क्रीन टाइम के बावजूद असर छोड़ते हैं।
संवाद, निर्देशन और तकनीकी पहलू
फिल्म के संवाद कई जगह तीखे व्यंग्य करते हैं, तो कहीं भावुक कर देते हैं। निर्देशन में सुभाष कपूर ने हास्य और सामाजिक संदेश का संतुलन बनाए रखा है। सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर साधारण लेकिन कहानी के अनुरूप हैं। हालांकि, गाने खास असर नहीं छोड़ पाते और यही फिल्म की कमजोर कड़ी भी है।
कुल मिलाकर कहें तो जॉली एलएलबी 3 हंसी और कोर्टरूम ड्रामे के जरिए समाज की गहरी समस्याओं पर रोशनी डालती है। फिल्म मनोरंजन और संदेश दोनों का संतुलन साधती है। अगर आप कानूनी व्यंग्य और मजेदार नोकझोंक पसंद करते हैं तो यह फिल्म जरूर देखने लायक है।
फिल्म- जॉली एलएलबी 3
निर्देशक- सुभाष कपूर
कलाकार- अक्षय कुमार, अरशद वारसी, सौरभ शुक्ला, गजराज राव, हुमा कुरैशी, अमृता राव, राम कपूर
रेटिंग- 4/5
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