हजारों छात्रों के इस प्रदर्शन की वजह से सड़क जाम की स्थिति बनी रही। छात्रों का ये दल मुख्यमंत्री आवास जाना चाहता था लेकिन जेपी गोलंबर के पास इन्हें रोक दिया गया। फिर इनमें से 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री सचिवालय ले जाया गया जहां इनकी मुलाकात अधिकारियों से कराई गई। इस प्रतिनिधिमंडल ने अधिकारियों को राज्य की नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग वाला आवेदन पत्र सौंपा।
यहां ये उल्लेख करना जरूरी है कि बिहार में बेरोजगारी देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है। उद्योगों का अभाव है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2023 में बिहार की बेरोज़गारी दर 17.6% थी, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर थी। जाहिर है कि यहां के बेरोजगारों और छात्रों को नौकरी पाना ही एकमात्र विकल्प नजर आ रहा है। इसलिए ये छात्र सरकार से डोमिसाइल नीति लागू कर राज्य की नौकरियों में 90 फीसदी आरक्षण बिहार के युवकों दिलाने की मांग कर रहे हैं।
सरकार की स्थिति सांप- छुछुंदर वाली
बिहार सरकार की स्थिति सांप- छुछुंदर वाली है। कुछ महीने बाद ही राज्य में चुनाव है। विपक्षी दल राजद सत्ता पाने के लिए कोई भी कदम उठाने को तैयार है। इसलिए नेता प्रतिपत्र तेजस्वी यादव ने डोमिसाइल नीति लागू कर राज्य की नौकरियों में 100 फीसद केवल बिहार के लोगों को नौकरी देने का दो महीने पहले ही वादा कर लिया है। लेकिन बिहार सरकार इस डोमिसाइल नीति के दुष्परिणामों को भी जानती है। इसी वजह से सरकार ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया है। ऐसा इस वजह से कि बिहार सरकार ये नीति लागू करके राज्य में जितने लोगों को नौकरी देगी उससे हर साल बिहार के युवा दूसरे राज्यों में कहीं अधिक सरकारी नौकरी पा रहे हैं। बिहार में डोमिसाइल नीति लागू होने का मतलब है कि दूसरे राज्य यदि अपने यहां नौकरियों मे इस तरह की कोई डोमिसाइल नीति लागू करते हैं तो बिहार सरकार के पास इसका विरोध करने का कोई अधिकार नहीं बचेगा। यहां ये भी उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट भी इस तरह की किसी डोमिसाइल नीति का समर्थन नहीं करता है। दूसरी ओर ये छात्र डोमिसाइल नीति को लेकर एक हफ्ते में कोई निर्णय नहीं लेने पर आने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार को वोट के जरिए सबक सिखाने की धमकी दे रहे हैं।
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