एस.जयशंकर ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए इस बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के लिए सहमति बनाने में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई थी।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीजफायर को लेकर व्हाइट हाउस की भूमिका से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, “अमेरिका, संयुक्त राज्य अमेरिका में था”, अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस और वहां के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारतीय और पाकिस्तानी नेतृत्व से इस मुद्दे पर उसी तरह बात की जैसे कि ऐसे हालात में अन्य देशों के नेता बात कर रहे थे, लेकिन सीजफायर दोनों देशों के बीच के दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीधे संवाद का प्रत्यक्ष परिणाम था।
एस.जयशंकर नीदरलैंड की सरकारी मीडिया प्रसारक एनओएस के रिपोर्टर सैंडर वैन हूर्न से बातचीत के दौरान ये बात कही. उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की सेना ने हॉटलाइन के माध्यम से 10 मई को एक संदेश भेजा, जिसमें गोलीबारी रोकने की इच्छा व्यक्त की गई थी।
विदेश मंत्री ने कहा, “हमने न केवल अमेरिका से, बल्कि हमसे बात करने वाले उन सभी लोगों से एक बात बहुत स्पष्ट कर दी थी , कि देखिए, अगर पाकिस्तानियों को सीजफायर करनी है, तो उन्हें हमें बताना होगा। हमें उनसे यह सुनना होगा। उनके जनरल को हमारे जनरल को फोन करके यह कहना होगा और यही हुआ।”
विस्तार से बताते हुए विदेशमंत्री पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद, भारत ने इसके लिए जिम्मेदार आतंकी समूह, द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की पहचान की, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है. इसके बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी-संचालित स्थलों के रूप में सूचीबद्ध नौ स्थानों पर हमला किया। जब पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई की, तो भारत ने 10 मई को उनके आठ एयरबेस पर हमले किए। इससे पाकिस्तान का प्रमुख बुनियादी ढांचा “निष्क्रिय” हो गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि इसने पाकिस्तानी सेना को सीजफायर का अनुरोध करने के लिए “मजबूर” किया। उन्होंने ये भी कहा कि ऑपरेशन जारी है क्योंकि ऑपरेशन में एक स्पष्ट संदेश है कि अगर इस तरह की कोई हरकत होती है, तो हम जवाब देंगे। हम आतंकवादियों को मारेंगे, अगर आतंकवादी पाकिस्तान में हैं, तो हम उन्हें वहीं मारेंगे। लेकिन अभी फायरिंग और सैन्य कार्रवाई को लेकर सहमति बनी है। फिलहाल कोई फायरिंग नहीं हो रही है।”
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