बॉलीवुड से संन्यास तक: ममता कुलकर्णी का नया अध्याय

बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने महाकुंभ में संन्यास लेकर किन्नर अखाड़े में 'माई ममता नंद गिरी' नाम से नई शुरुआत की है।

Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: January 25, 2025 9:04 pm

पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में अपनी नई आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की। उन्होंने किन्नर अखाड़े में संन्यास लिया और ‘माई ममता नंद गिरी’ नाम प्राप्त किया। उत्तर प्रदेश सरकार के एक बयान के अनुसार, ममता कुलकर्णी ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई और किन्नर अखाड़े में विधिवत अपने ‘पिंड दान’ और ‘पट्टाभिषेक’ (अभिषेक समारोह) की प्रक्रिया पूरी की।

23 वर्षों की साधना का मिला फल

ममता कुलकर्णी ने बताया कि उन्होंने 2000 में अपनी तपस्या शुरू की थी। वह पिछले 23 वर्षों से आध्यात्मिक साधना में लगी हुई थीं और अब उन्होंने अपनी इस यात्रा को एक नई पहचान दी है। उन्होंने कहा, “मेरा तपस्या का समय अब पूर्ण हुआ है। किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने मेरी साधना को समझा और मुझे इस पद के योग्य माना।”

पवित्र संगम में पिंड दान और पट्टाभिषेक

शुक्रवार को ममता कुलकर्णी ने गंगा के तट पर पिंड दान किया। इसके बाद रात करीब 8 बजे किन्नर अखाड़े में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ उनका पट्टाभिषेक किया गया। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी ने बताया कि इस कार्यक्रम में पांच अन्य महामंडलेश्वर भी शामिल हुए।

ममता कुलकर्णी ने बताया कि अपने गुरु श्री चैतन्य गगन गिरी से उन्होंने 23 साल पहले दीक्षा ली थी। अब किन्नर अखाड़े के साथ जुड़कर वह सनातन धर्म के प्रचार में योगदान देंगी।

फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने का कारण

अपनी फिल्मी यात्रा को याद करते हुए ममता ने कहा, “मैंने करीब 40-50 फिल्मों में अभिनय किया। जब मैंने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ी, तब मेरे पास 25 फिल्में थीं। लेकिन मैंने किसी समस्या की वजह से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक आनंद की तलाश में यह कदम उठाया।”

किन्नर अखाड़े से जुड़ाव और विशेष संबंध

ममता कुलकर्णी पिछले दो वर्षों से जुना अखाड़े के साथ जुड़ी थीं। लेकिन किन्नर अखाड़े के प्रति उनका जुड़ाव कुछ महीनों पहले ही बढ़ा। उन्होंने किन्नर अखाड़े को ‘मध्यम मार्गी’ बताते हुए कहा कि यह उनकी आध्यात्मिक यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है।

महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया

महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया के बारे में महंत बालक दास ने बताया, “महामंडलेश्वर बनने के लिए 12 वर्षों की कठोर तपस्या और राम जाप का नियम है। साधक को प्रतिदिन 1,25,000 बार राम जाप करना पड़ता है और एक अनुशासित जीवन जीना होता है।”

आध्यात्मिक जीवन की नई शुरुआत

ममता कुलकर्णी ने कहा, “मैं अब सनातन धर्म का प्रचार करूंगी और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को जारी रखूंगी। महाकाल और महाकाली की कृपा से मुझे यह अवसर प्राप्त हुआ है।”

महाकुंभ में ममता कुलकर्णी की इस नई शुरुआत ने न केवल उनके प्रशंसकों को चौंका दिया है, बल्कि धार्मिक जगत में भी एक नई चर्चा छेड़ दी है।

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