‘Gen-Z’ प्रदर्शन को देखते हुए काठमांडू (Kathmandu) हवाईअड्डे को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया है क्योंकि हिंसा का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसकर उसे आग के हवाले कर दिया है। इसके साथ ही कई राजनीतिक नेताओं के निवास स्थानों को भी जलाया गया है।
4 सितंबर को नेपाल सरकार (Nepal Government) ने फेसबुक (Facebook), एक्स(X), यूट्यूब(YouTube), लिंक्डइन(LinkedIn), रेडिट(Reddit) समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार का कहना था कि इन कंपनियों ने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नए नियमों के तहत पंजीकरण नहीं कराया है। नेपाल की 3 करोड़ आबादी में से लगभग 90 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं।
8 सितंबर को काठमांडू के मैतिघर इलाके में Gen-Z प्रदर्शन शुरू हुए। मुख्यतः 13 से 28 वर्ष के युवाओं द्वारा नेतृत्व किए जा रहे इस आंदोलन में न केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध का विरोध हो रहा है, बल्कि सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आक्रोश दिखाया जा रहा है।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, रबर की गोलियों और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। हिंसक झड़पों में अब तक कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 17 काठमांडू में और 2 इटहरी शहर में मारे गए हैं। 347 से अधिक लोग घायल हुए हैं और 100 लोगों का सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है।
दबाव के बाद सरकार ने सोशल मीडिया प्रतिबंध वापस ले लिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी अब व्यापक राजनीतिक बदलाव और पूरी सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। गृह मंत्री भी अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं और सरकार ने हिंसा की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है। यह नेपाल में पिछले कई दशकों की सबसे बड़ी अशांति बताई जा रही है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस घटना ने चिंता बढ़ाई है। संयुक्त राष्ट्र ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए नेपाल सरकार से संयम बरतने का आह्वान किया है और आवश्यक सहायता की पेशकश की है। नेपाल के पूर्व न्याय मंत्री ने इस सोशल मीडिया प्रतिबंध को संविधान विरोधी बताया था और कहा था कि यह मौलिक स्वतंत्रता का हनन है।
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