सरकार ने दिए निष्क्रिय जनधन खातों को फिर से सक्रिय करने के निर्देश

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ( पीएसबी ) को प्रधानमंत्री जनधन योजना ( पीएमजेडीवाई ) के तहत निष्क्रिय हो चुके जनधन खातों ( jandhan accounts) को फिर से सक्रिय और कार्यशील बनाने के निर्देश दिए हैं। यह दरअसल, सरकार की वित्तीय समावेशन पहल का एक हिस्सा है क्योंकि कुछ लोग जनधन खातों को खोलने के बाद उन्हें भूल जाते हैं।

निष्क्रिय जनधन खातों (Jandhan accounts) को सक्रिय करने का निर्देश
Written By : शशि झा | Updated on: November 7, 2024 7:47 am

वित्तीय सेवा विभाग के अधिकारियों की इस बाबत बैठक

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ( डीएफएस ) के अधिकारियों की पिछले दिनों बजट से पहले ( jandhan accounts) की बाबत बैठक हुई जिसमें पीएसबी के अधिकारियों को पीएमजेडीवाई के तहत निष्क्रिय हो चुके जनधन खातों  (jandhan accounts) को फिर से सक्रिय और कार्यशील बनाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, बैठक में जनधन योजना, मुद्रा योजना और जन सुरक्षा योजना जैसी सरकार की विभिन्न महत्वपूर्ण वित्तीय योजनाओं की प्रगति का जायजा भी लिया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में लांच की गई थी पीएमजेडीवाई योजना

पीएमजेडीवाई प्रधानमंत्री के पहले कार्यकाल के दौरान लांच की गई पसंदीदा योजनाओं में से एक गौरतलब है कि प्रधानमंत्री जनधन योजना ( पीएमजेडीवाई ) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान 2014 में लांच की गई उनकी पसंदीदा योजनाओं में से एक है जिसमें जीरो बैलेंस खातों को खोलने के जरिये वित्तीय समावेशन के विचार को आगे बढ़ाया गया था।

निष्क्रिय खातों में से लगभग आधे महिलाओं के खाते

प्रधानमंत्री जनधन योजना ( पीएमजेडीवाई ) के तहत खोले गए लगभग 51.11 करोड़ पीएमजेडीवाई खातों में से 20 फीसदी से अधिक खाते निष्क्रिय हो चुके है जिसकी जानकारी सरकार राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दे चुकी है। निष्क्रिय खातों में से लगभग आधे महिलाओं के खाते हैं। निष्क्रिय खातों में लगभग 12,779 करोड़ रुपये जमा शेष हैं जोकि पीएमजेडीवाई खातों में कुल जमा शेष के 6.12 प्रतिशत हैं। इन पर लगातार ब्याज बन रहा है और जमाकर्ता खातों के कार्यशील बनने के बाद किसी भी वक्त उनकी निकासी कर सकते हैं।

वर्ष 2017 में जनधन के 40 फीसद खाते थे निष्क्रिय, पिछले साल घट कर 20 फीसद हुए

सर्वाजनिक क्षेत्र के बैंक जागरूकता अभियानों के माध्यम से निष्क्रिय खातों के प्रतिशत में कमी लाने का लगातार प्रयास करते रहे हैं, यही वजह है कि निष्क्रिय खातों की प्रतिशतता मार्च 2017 के 40 प्रतिशत से कम होकर नवंबर 2023 में 20 प्रतिशत तक आ गई है।

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