Guru Purnima 2024 : कब है गुरु पूर्णिमा ? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

Guru Purnima 2024 : गुरु पूर्णिमा इस साल 21 जुलाई को मनाया जायेगा। इसे महाभारत लिखने वाले वेद व्यास जी के सम्मान में मनाया जाता है। शिष्य अपने शिक्षकों को उपहार देकर और दूसरों के प्रति दयालु होकर इसे मनाते हैं। 

Written By : दीक्षा शर्मा | Updated on: July 20, 2024 11:39 am

Guru Purnima 2024

गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म में एक खास त्यौहार है। हर साल यह पर्व आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। इसे आषाढ़ पूर्णिमा (Aashad Purnima) और गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस साल यह त्यौहार 21 जुलाई रविवार को है। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर स्नान-दान और गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।

आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

गुरु पूर्णिमा पूजा शुभ मुहूर्त 2024 ( Guru Purnima 2024 Date and Shubh Muhurt )

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट से होगी और वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 21 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट से होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। इसलिए गुरु पूर्णिमा का त्यौहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा।

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि ( Guru Purnima Puja Vidhi) 

  • गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें।
  • दिन की शुरुआत शांत समय में भगवान के ध्यान से करें
  • इसके बाद स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • सूर्य देव को जल अर्पित करें

गुरु पूर्णिमा के दिन करें ये उपाय 

  1. गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु को अपने घर आमंत्रित करके, उनके पैर छूकर और उन्हें उपहार देकर उनका सम्मान करें। इससे आपको जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रगति मिलेगी और आपकी कुंडली से कोई भी दुर्भाग्य दूर होगा। कहा जाता है कि गुरु के मार्गदर्शन के बिना, आप ज्ञान या मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते।
  2. गुरु पूर्णिमा के दिन किसी गरीब ब्राह्मण को पीले कपड़े, हल्दी, पीतल के बर्तन, गुड़, घी, पीले चावल आदि का दान करें. इस दिन देव गुरु बृहस्पति की भी पूजा करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

Guru Purnima

हम गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं?

गुरु पूर्णिमा को लेकर अलग अलग मान्यताएं और कहानियां हैं। एक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन, भगवान शिव ने लोगों के साथ अपना ज्ञान साझा किया और प्रथम शिक्षक बने थे।

एक अन्य कथा वेद व्यास के जन्म की है, जिन्होंने गुरु पूर्णिमा के दिन अपने चार शिष्यों को वैदिक शिक्षा दी थीं।

एक और मान्यता के अनुसार इस विशेष दिन पर, बुद्ध ने अपने अनुयायियों को सारनाथ में पहली बार उपदेश दिया था ।

जैन धर्म में, गुरु पूर्णिमा को उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब महावीर स्वामी को उनका पहला अनुयायी मिला था।

गुरु पूर्णिमा उन शिक्षकों का जश्न मनाने और उन्हें धन्यवाद देने का एक विशेष दिन है जो हमें सीखने और बढ़ने में मदद करते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि बेहतर इंसान बनने के लिए ज्ञान और बुद्धि महत्वपूर्ण हैं।


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