यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन विचार-विमर्श और भारत की पांडुलिपि विरासत के संरक्षण, डिजिटलीकरण और दुनिया के साथ साझा करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक सहयोगी मंच तैयार करेगा। ‘ज्ञान भारतम्’ पर इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में आयोजित प्रेस वार्ता को केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने संबोधित किया। आईजीएनसीए में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में संस्कृति मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुश्री अमिता प्रसाद सरभाई और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी भी उपस्थित थे।
‘ज्ञान भारतम्’ को भारत की विशाल पाण्डुलिपि संपदा के संरक्षण और प्रसार हेतु समर्पित एक दूरदर्शी राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में शुरू किया जा रहा है। यह राष्ट्र की सभ्यतागत जड़ों के प्रति एक श्रद्धांजलि और साथ ही, 2047 तक विकसित भारत के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की दिशा में एक दूरदर्शी कदम के रूप में कार्य करेगा, जहां भारत अपने अतीत के ज्ञान को अपने भविष्य के नवाचार के साथ जोड़ते हुए एक सच्चे विश्व गुरु के रूप में उभरेगा। एक व्यापक फ्रेमवर्क के रूप में तैयार किया गया यह कार्यक्रम संरक्षण, डिजिटलीकरण, विद्वता और वैश्विक पहुंच के मेल के साथ भारत की पांडुलिपि विरासत को पुनर्जीवित करेगा। इसके उद्देश्यों में एक राष्ट्रव्यापी रजिस्टर के माध्यम से पांडुलिपियों की पहचान और दस्तावेज़ीकरण, ग्रंथों का संरक्षण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से संचालित उपकरणों का उपयोग करके बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण और एक राष्ट्रीय डिजिटल कोष का निर्माण शामिल है।
संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने ‘ज्ञान भारतम्’ पर अपनी ब्रीफिंग में कहा कि माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषित यह पहल भारत की पांडुलिपि विरासत के संरक्षण की एक प्रमुख योजना है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह मिशन पुस्तकालयों, धार्मिक संस्थानों और निजी संरक्षकों सहित हितधारकों के एक व्यापक गठबंधन के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पांडुलिपियों का संरक्षण किया जाए और आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें सुलभ बनाया जाए।
प्रौद्योगिकी की भूमिका पर ज़ोर देते हुए, विवेक अग्रवाल ने बताया कि ‘ज्ञान-सेतु’ (भारत की पांडुलिपि विरासत के लिए राष्ट्रीय एआई इनोवेशन चैलेंज) के लिए अब तक 40 से ज़्यादा प्रविष्टियां प्राप्त हो चुकी हैं, जिनमें से चुने गए नवाचारों को सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने आगे बताया कि माननीय प्रधानमंत्री 12 सितंबर को सम्मेलन में भाग लेंगे, कार्य समूहों की प्रस्तुतियाँ सुनेंगे और उसके बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करेंगे। 13 सितंबर को समापन सत्र की अध्यक्षता भारत के माननीय गृह मंत्री करेंगे।
यह तीन दिवसीय ऐतिहासिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘ज्ञान भारतम्’ के औपचारिक शुभारंभ का प्रतीक है। इसका समय अत्यंत प्रतीकात्मक है। 11 सितंबर 1893 को शिकागो में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण दिया था और ज्ञान भारतम् सम्मेलन की शुरुआत भी 11 सितंबर को ही हो रही है। यह वह क्षण था, जिसने भारत के ज्ञान और आध्यात्मिकता के स्वर को वैश्विक मंच पर पहुंचाया था। इसी भावना के साथ, इस सम्मेलन का उद्देश्य ज्ञान की सभ्यता के रूप में भारत की भूमिका की पुष्टि करना है, जो अब तकनीक से सशक्त है और अपनी विरासत को दुनिया के साथ साझा करने के लिए तैयार है।
ज्ञान भारतम् का विजन और उद्देश्य
यह सम्मेलन गणमान्य व्यक्तियों, वैश्विक विद्वानों और सांस्कृतिक संरक्षकों को एक मंच पर लाकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विरासत और विकास’ के आह्वान के मद्देनज़र विरासत को नवाचार के साथ जोड़ने की पहल करेगा। हाइब्रिड मोड में आयोजित इस सम्मेलन में उद्घाटन और समापन सत्र के साथ चार पूर्ण सत्र और 12 तकनीकी सत्र होंगे। जिनमें लगभग 500 प्रतिनिधि और 75 आमंत्रित विशेषज्ञ भाग लेंगे।
चर्चाएं विविध विषयों पर केंद्रित हैं – पांडुलिपियों का संरक्षण और पुनरुद्धार, सर्वेक्षण और प्रलेखन मानक, डिजिटलीकरण उपकरण और प्लेटफार्म, हस्तलिखित पाठ पहचान और लिपि व्याख्या जैसे एआई-संचालित नवाचार, अनुवाद और प्रकाशन रूपरेखा, शिक्षा और संस्कृति के साथ एकीकरण, पांडुलिपि विज्ञान में क्षमता निर्माण तथा कॉपीराइट और कानूनी मुद्दे।
भारत की सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत इसकी विशाल पांडुलिपि संपदा में परिलक्षित होती है, जिसकी अनुमानित संख्या एक करोड़ से अधिक है। ये ग्रंथ दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, गणित, खगोल विज्ञान, साहित्य, कला, वास्तुकला और अध्यात्म जैसे विषयों को कवर करते हुए ज्ञान की एक उल्लेखनीय शृंखला का विस्तार करते हैं। विभिन्न लिपियों और भाषाओं में लिखे गए ये ग्रंथ मंदिरों, मठों, जैन भंडारों, अभिलेखागारों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहों में सुरक्षित हैं। ये सभी मिलकर भारतीय ज्ञान परंपरा का एक अद्वितीय अभिलेख बनाते हैं और भारत के सभ्यतागत विचारों की निरंतरता को दर्शाते हैं।
चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में मिशन के लिए 60 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिसे 2024-31 की अवधि के लिए 482.85 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में अनुमोदित किया गया है।
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