नई दिल्ली/श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के बाइसारन घाटी में हुए भीषण आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उसके सरगना हाफिज सईद का हाथ होने की पुष्टि हुई है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए हैं। जांच एजेंसियों के मुताबिक, यह हमला एक पूर्व नियोजित साजिश थी जिसे पाकिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं द्वारा संचालित किया गया।
हमले का पैटर्न और टेरर मॉड्यूल का खुलासा
पुलिस सूत्रों और खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इस हमले को लश्कर-ए-तैयबा के मॉड्यूल ने अंजाम दिया, जिसमें विदेशी और स्थानीय आतंकियों का गठजोड़ शामिल था। हमले की योजना पाकिस्तान में बनाई गई थी और इसे जम्मू-कश्मीर में सक्रिय लश्कर मॉड्यूल के ज़रिए अंजाम तक पहुंचाया गया। इस नेटवर्क में कई ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) भी शामिल थे, जिन्होंने आतंकियों को रसद, ठिकाना और इलाके की जानकारी मुहैया करवाई।
बाइसारन घाटी में हमले को तीन चरणों में अंजाम दिया गया—पहले लोगों से बातचीत कर उनका विश्वास जीता गया और फिर बेहद नृशंस ढंग से उन पर फायरिंग की गई। कई लोग जान बचाने के लिए भागे, लेकिन आतंकी पहले से घात लगाए बैठे थे। घटना स्थल से मिले सबूतों से यह स्पष्ट है कि हमलावर प्रशिक्षित थे और उनके पास अत्याधुनिक हथियार मौजूद थे।
पहले भी कर चुके हैं हमला
यह वही आतंकी मॉड्यूल है जिसने पिछले वर्ष अक्टूबर में सोनमर्ग के बूटा पात्रि क्षेत्र में सेना के दो जवानों पर हमला किया था। इसके अलावा टनल निर्माण में लगे मजदूरों और एक डॉक्टर की भी हत्या की गई थी। उस हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान बताया गया था, जो अब बाइसारन हमले में भी प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
संदिग्ध आतंकियों के स्केच और इनाम की घोषणा
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गुरुवार को तीन मुख्य संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। इनमें दो पाकिस्तानी नागरिक—हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तल्हा—जबकि तीसरा स्थानीय निवासी अब्दुल हुसैन ठोकर शामिल है। इनकी सूचना देने वालों के लिए ₹20 लाख तक के इनाम की घोषणा की गई है।
भारत का कड़ा रुख, पाकिस्तान पर राजनयिक कार्रवाई
हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक बुलाई। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री मौजूद थे। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कूटनीतिक कदम उठाए हैं। दोनों देशों के राजनयिक मिशनों में स्टाफ की संख्या घटाकर 30 कर दी गई है और सभी पाकिस्तानी रक्षा अधिकारियों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है।
इसके अलावा, अटारी-वाघा सीमा को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है। भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को भी निलंबित कर दिया है, जो दोनों देशों के बीच 1960 से लागू थी। अब इस संधि की समीक्षा की जाएगी।
देशभर में आक्रोश और विरोध प्रदर्शन
हमले के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला है। राजधानी दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के बाहर प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने पाकिस्तान का पुतला फूंका और ‘हाफिज सईद को फांसी दो’ जैसे नारे लगाए। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने मोमबत्ती मार्च भी निकाला और शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
पहलगाम का यह आतंकी हमला पाकिस्तान की गहरी साजिश और उसके प्रॉक्सी वॉर का हिस्सा है। जिस तरह से लश्कर और हाफिज सईद के तार इसमें जुड़े मिले हैं, उसने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की धरती पर पनप रहा आतंक भारत की शांति और संप्रभुता के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। आने वाले दिनों में इस पर भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां और भी कड़े कदम उठा सकती हैं।
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