झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने आज गुरुवार को चौथी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित किया गया, जहां इंडिया गठबंधन के प्रमुख नेता मौजूद रहे।
हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव शामिल हुए।
राजनीतिक सफर और चुनौतियां:
49 वर्षीय हेमंत सोरेन ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत राज्यसभा सदस्य के रूप में की थी। 2009 में वे पहली बार विधायक बने। 2010 से 2013 तक वे झारखंड के उपमुख्यमंत्री रहे, जब झामुमो ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था। इसके बाद 2013 में कांग्रेस और आरजेडी के साथ गठबंधन कर वे पहली बार मुख्यमंत्री बने। 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सत्ता हासिल की और सोरेन विपक्ष के नेता बने। 2019 में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन ने जीत दर्ज की और सोरेन ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद संभाला।
इस साल की शुरुआत में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया। सोरेन ने आरोप लगाया कि बीजेपी राजनीतिक लाभ के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। गिरफ्तारी के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और उनके करीबी सहयोगी चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद संभाला। छह महीने बाद जमानत पर रिहा होकर जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद पर वापसी की कोशिश की, तो चंपई सोरेन ने झामुमो से इस्तीफा दे दिया।
इस दौरान उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने पार्टी के लिए बड़े स्तर पर प्रचार किया और विपक्षी दलों की बैठकों में भाग लिया। इस विधानसभा चुनाव में उन्होंने भी जीत दर्ज कर विधायक बनीं।
चुनावी नतीजे और गठबंधन की जीत:
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो गठबंधन ने 81 में से 56 सीटों पर जीत दर्ज की। झामुमो ने 41 में से 34 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने 16 सीटों पर कब्जा किया, जबकि आरजेडी और सीपीआईएमएल ने क्रमशः छह और चार सीटें जीतीं।
बीजेपी ने इस चुनाव में जोरदार प्रचार किया, लेकिन सोरेन सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और उनकी गिरफ्तारी से उपजी सहानुभूति लहर ने झामुमो की सत्ता वापसी सुनिश्चित की।
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