प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसा दोपहर बाद हुआ जब मकबरे के अंदर कुछ स्थानीय लोग और पर्यटक उस कमरे के पास मौजूद थे। अचानक छत का बड़ा हिस्सा भरभराकर गिर पड़ा। कुछ लोग मलबे के नीचे दब गए। सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, एनडीआरएफ और दमकल की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में से ज्यादातर मजदूर और आगंतुक बताए जा रहे हैं। घायलों की हालत गंभीर है और डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी कर रही है। मृतकों की पहचान की प्रक्रिया जारी है, परिवारों को सूचना दी जा रही है।
रखरखाव पर उठे सवाल
हुमायूं का मकबरा यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है और इसका रखरखाव भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) करता है। घटना के बाद इलाके में अफरातफरी का माहौल रहा और सुरक्षा इंतजामों व रखरखाव पर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि मकबरे के कुछ हिस्से लंबे समय से जर्जर हालत में हैं और उनकी मरम्मत की जरूरत थी। हादसे ने ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता खड़ी कर दी है।
प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया
दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच के बाद यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि छत गिरने की वजह क्या थी – संरचना की कमजोरी, बारिश से नुकसान या लापरवाही।
दिल्ली सरकार ने मृतकों के परिवार को आर्थिक सहायता और घायलों के नि:शुल्क इलाज की घोषणा की है। वहीं, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने भी घटना की गंभीरता को देखते हुए ASI से त्वरित रिपोर्ट मांगी है।
लोगों में आक्रोश और सदमा
हादसे की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में लोग मकबरे के बाहर जुट गए। पर्यटकों को वहां से हटाया गया और स्मारक को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। लोगों ने कहा कि अगर समय पर मरम्मत का काम होता तो इतनी बड़ी त्रासदी टाली जा सकती थी।
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