कला और मंदिर वास्तुकला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली पद्मश्री से सम्मानित इन विभूतियों को आईजीएनसीए द्वारा विशेष रूप से आमंत्रित कर सम्मानित किया गया।
इस समारोह में पद्मश्री प्राप्त जिन व्यक्तित्वों को सम्मानित किया गया, उनमें शामिल हैं:
• प्रख्यात कला इतिहासकार प्रो. रतन परिमू (कला, गुजरात)
• प्रसिद्ध संगीतशास्त्री एवं शिक्षाविद प्रो. भरत गुप्त (कला, दिल्ली)
• सुप्रसिद्ध मूर्तिकार श्री अद्वैत चरण गड़नायक (कला, ओडिशा)
• विख्यात शिल्पकार श्री राधाकृष्णन स्थापति (कला, तमिलनाडु)
• प्रसिद्ध मांड एवं भजन गायिका बतूल बेगम (कला, राजस्थान)
समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध नृत्यगुरु और पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह ने की। उन्होंने सभी सम्मानित अतिथियों के योगदान को भारतीय सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग बताते हुए कहा कि ऐसे व्यक्तित्व समाज को प्रेरणा देते हैं और हमारी परम्पराओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सभी पद्म श्री विजेताओं को शुभकामना दी और कहा कि आईजीएनसीए ने अद्वितीय कार्य करके दिखाया है और यह उत्कृष्टता का केन्द्र है। उन्होंने कहा कि जो लोग इस संस्थान से जुड़ते हैं, वे अक्सर एक ऐसा बंधन बना लेते हैं, जो जीवन भर बना रहता है। उन्होंने कहा कि यह ‘राष्ट्रीय कला केन्द्र’ भारतीय कला की पहचान है।
इस अवसर पर आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने स्वागत भाषण में कहा, इन सभी पद्मश्री विजेताओं का किसी न किसी रूप में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र से गहरा जुड़ाव रहा है। यह हमारे लिए गर्व और सम्मान की बात है कि ऐसे विद्वानों को हम अपने मंच से सम्मानित कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अद्वैत गड़नायक ‘अद्वितीय गड़नायक’ हैं। डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने बेगम बतूल को बड़ी बहन के रूप में सम्बोधित किया, तो वहीं राधाकृष्ण स्थापति के बारे में बताया कि वे प्रशिक्षित इंजीनियर हैं, लेकिन इंजीनियरिंग को छोड़कर अपने पिता की मंदिर वास्तुकला की परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये पुरस्कार से बंधी आत्मीयता नहीं है, बल्कि परिवार से जुड़ी आत्मीयता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष आईजीएनसीए के अध्यक्ष श्री राम बहादुर राय को पद्मभूषण और ट्रस्टी प्रो. भरत गुप्त तथा श्री वासुदेव कामत को पद्मश्री मिला है। यह आईजीएनसीए के लिए गर्व का विषय है।
इस अवसर पर आईजीएनसीए के कलाकोश प्रभाग के अध्यक्ष प्रो. सुधीर लाल ने श्रोताओं के समक्ष प्रो. भरत गुप्त और प्रो. रतन कुमार परिमू का परिचय विस्तार से दिया। वहीं कलादर्शन प्रभाग की अध्यक्ष प्रो. ऋचा कम्बोज ने श्री अद्वैत चरण गणनायक का, संरक्षण एवं सांस्कृतिक अभिलेखागार प्रभाग के अध्यक्ष प्रो. अचल पण्ड्या ने श्री राधाकृष्ण देवसेनापति स्थापति का और मीडिया सेंटर के नियंत्रक श्री अनुराग पुनेठा ने बेगम बतूल का परिचय विस्तार से दिया।
इस अवसर पर पद्मश्री से सम्मानित पांचों हस्तियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और इस अभिनंदन समारोह के लिए आईजीएनसीए का आभार जताया। बेगम बतूल ने अपनी बुलंद आवाज़ में राजस्थान का प्रसिद्ध लोकगीत ‘केसरिया बालम पधारो म्हारे देस’ सुनाकर सबको आनंदित कर दिया।
समवेत सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में दिल्ली और देशभर से कला एवं संस्कृति से जुड़े विद्वानों, छात्रों और रसिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने इन विभूतियों के कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें भारत की सांस्कृतिक चेतना का संरक्षक बताया। आईजीएनसीए द्वारा आयोजित यह समारोह न केवल सम्मान का प्रतीक था, बल्कि भारतीय कला परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक प्रेरक प्रयास भी रहा।
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