इस मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement) के जरिए भारत और यूके ने आयात-निर्यात (Import-Export) पर लगने वाले टैरिफ में उल्लेखनीय कटौती की है। भारत की ओर से स्कॉच व्हिस्की, इलेक्ट्रिक वाहन, मेडिकल डिवाइस और कॉस्मेटिक उत्पाद जैसे ब्रिटिश सामान के आयात पर शुल्क को औसतन 15 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत तक किया जाएगा। वहीं, ब्रिटेन ने 99 प्रतिशत भारतीय उत्पादों जैसे वस्त्र (Textiles), रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery), चमड़ा (Leather), समुद्री उत्पाद (Marine Products), फार्मास्युटिकल्स (Pharmaceuticals) और कृषि उत्पाद (Agro Products) पर शुल्क पूरी तरह समाप्त करने पर सहमति जताई है।
इस डील के तहत दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में बड़े विस्तार की संभावना है। अनुमान है कि इस समझौते के बाद द्विपक्षीय व्यापार में प्रतिवर्ष 34 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो सकती है और 2030 तक यह आंकड़ा 120 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
इस समझौते से विशेष रूप से भारत की कृषि आधारित उद्योगों (Agro Industries) को काफी लाभ होगा। अनुमान है कि अगले तीन वर्षों में इनका निर्यात लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। मसाले, दालें, फल, सब्जियाँ और अन्य कृषि उत्पाद अब यूके के बाजार में पहले से अधिक सुलभ रूप से उपलब्ध होंगे। साथ ही समुद्री उत्पादों और अन्य संबंधित क्षेत्रों को भी भारी लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे मछलीपालन और समुद्री व्यापार में तेजी देखी जा सकती है।
FTA से सेवा क्षेत्र (Service Sector) और कुशल श्रमिक (Skilled Workers) को भी काफी लाभ मिलेगा। भारतीय युवा पेशेवरों, शेफ, योग प्रशिक्षकों और कलाकारों को यूके में आसानी से वीज़ा मिलने की संभावना है, साथ ही राष्ट्रीय बीमा में भी रियायतें मिल सकती हैं। दोनों देशों ने इस मौके पर एक-दूसरे के बेहतर भविष्य की कामना की। अमेरिका के हाई टैरिफ लगाने के कारण भारतीय निर्यात पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, अब भारत-यूके मुक्त व्यापर समझौते से भारतीय उद्योग जगत (Indian Industry) को आशा की नयी किरण दिखाई दे रही है। अब देखना ये है कि भारतीय व्यापारी और कृषि उत्पाद से जुड़े लोग इस अवसर का किस प्रकार और कितना लाभ उठा पाते हैं!
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