भारतीय शेयर बाजार में कुछ ही देर में निवेशकों के 19 लाख करोड़ रुपये डूब गए। सोमवार को बाजार जब खुला तो सेंसेक्स में 2000 अंकों की गिरावट थी और ये 73137.90 पर खुला था। इसके बाद ऐसी अफरा-तफरी मची कि एक समय ये सूचकांक 3939.68 तक गोता लगा कर 71425.01 तक आ गया। इसके बाद स्थिति थोड़ी संभली लेकिन 2226.79 अंक नीचे पर बंद हुआ और इस तरह निवेशकों को 19 लाख करोड़ की चपत लग गई। निफ्टी 742 अंक गिर कर 22161 पर बंद हुआ।
भारतीय शेयर बाजार की कुल गिरावट 4 फीसद से कुछ ज्यादा है लेकिन सिर्फ भारतीय बाजार में ही गिरावट का रुख नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टेरिफ के फैसले से दुनिया भर के पूंजी बाजार में नकारात्मक लहर है और उसका असर अमेरिका सहित दुनिया भर के देशों में देखने को मिल रहा है।
एशियाई बाजार में सबसे अधिक गिरावट हांगकांग के शेयर बाजार में दिखी जहां का हैंगसेंग इंडेक्स 13 फीसद तक गिरा। दूसरे नंबर पर ताइवान रहा जहां का बेंचमार्क इंडेक्स 9.7 फीसद तक गिरा। जापान का निक्केई 225 इंडेक्स 7.4 फीसद गिरा। बताया जाता है कि जिस देश का निर्यात अमेरिका पर जितना अधिक निर्भर है उस देश के पूंजी बाजार में उतनी ही अधिक गिरावट है. चीन के शेयर बाजार में 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
भारत का अमेरिका को निर्यात अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का मात्र दो फीसद है इसलिए भारतीय बाजार में कुल गिरावट 4.1 फीसद की है जो अपेक्षाकृत कम गिरावट है। जर्मनी का शेयर बाजार DAX खुलते ही 10 फीसद गिर गया था। बताया जा रहा है कि टेरिफ वार के कारण आयात-निर्यात कम होंगे जिससे दुनिया पर वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा रहा है। इसी वजह से सारे देशों के पूंजी बाजार में अफरा-तफरी की स्थिति है और नकारात्मक माहौल बना हुआ है। अमेरिकी शेयर बाजार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और जनता वहां ट्रंप प्रशासन की नई टैक्स प्रणाली के विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है।
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