सूची में कई अनुसूचित, अति पिछड़ा व अल्पसंख्यक क्षेत्रों का ध्यान रखते हुए सीटें बांटी हैं; सूची में ट्रांसजेंडर समुदाय से प्रीति (भोरे, गोपालगंज) का नाम भी शामिल है।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने आचार संहिता लागू होने से पहले पटना में यह सूची जारी की। उल्लेखनीय है कि इस पहली सूची में प्रशांत किशोर स्वयं शामिल नहीं हैं — पार्टी ने कहा है कि उनका चुनाव लड़ना अभी सापेक्ष तय नहीं हुआ है और वे राघोपुर से चुनाव अभियान के साथ सार्वजनिक तौर पर उतारू हो सकते हैं।
विश्लेषक बताते हैं कि जन सुराज की यह रणनीति दो तरह के संदेश देती है — एक, यह कि पार्टी पारंपरिक वंशवाद और जहरीले लोकल-करों के बिना ‘स्वच्छ’ चेहरे लाना चाहती है; और दूसरे, यह कि पार्टी स्थानीय-स्तर के समीकरणों और जातीय गणित को चुनौती देने की कोशिश कर रही है। हालांकि, चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं: बिहार में स्थानीय भूमिका, जमीनी संगठन, जातिगत संतुलन और बूथ-प्रणाली का बड़ा प्रभाव होता है। अनेक उम्मीदवारों का राजनीतिक अनुभव सीमित होने के कारण उन्हें स्थानीय स्तर पर पहचान बनाने और कठोर चुनावी लड़ाई लड़ने की आवश्यकता होगी।
जन सुराज ने कहा है कि यह सिर्फ पहली सूची है और बाद में और सूचियाँ जारी की जाएँगी। पोल-विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पार्टी के कुछ उम्मीदवार स्थानीय धरातल पर सफल होते हैं और पार्टी-की कार्यप्रणाली मजबूत होती है, तो जन सुराज बिहार की राजनीति में नए समीकरण बना सकती है। अन्यथा, अकसर देखा गया है कि नए दलों के लिए संसाधन व संगठनात्मक स्थिरता बड़ी चुनौती बन जाते हैं। ये भी पढ़ें :-
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