झारखंड चुनाव: आदिवासी वोटों से कांटे की टक्कर!

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में आदिवासी क्षेत्रों में रिकॉर्ड 77% मतदान हुआ, जिससे राजनीतिक माहौल गरमाया है। हेमंत सोरेन की सरकार की मईयां योजना और एनडीए की घुसपैठ का मुद्दा चुनावी रणनीति को प्रभावित कर रहा है, और अब चुनावी परिणामों को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है।

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए बुधवार वोट डालने के लिए इंतजार करते लोग। ( पीटीआई)
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: November 14, 2024 9:55 pm

रा झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 का पहला चरण पूरा हो चुका है, और 43 सीटों पर मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर मतदान किया। 81 सीटों वाली इस विधानसभा में अनुसूचित जनजाति (ST) और अनुसूचित जाति (SC) की 26 आरक्षित सीटों पर वोटिंग का रिकॉर्ड बना है, जहां इस बार करीब 77 प्रतिशत वोटिंग हुई। यह आंकड़ा पिछले चुनावों की तुलना में काफी ज्यादा है, जिससे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक और विपक्षी एनडीए की उम्मीदों और चुनौतियों में इजाफा हुआ है। इन आरक्षित सीटों में से 21 सीटों पर इंडिया ब्लॉक का कब्जा है, जबकि मात्र 5 सीटें एनडीए के पास हैं।

खरसावां और घाटशिला में रिकॉर्ड वोटिंग

झारखंड चुनाव: चुनाव आयोग के अनुसार, अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित खरसावां सीट पर 79.11 प्रतिशत वोटिंग हुई, जो पूरे राज्य में सबसे अधिक है। घाटशिला दूसरे स्थान पर रही, जहां 75.85 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया। पहले चरण में ST के लिए आरक्षित 20 सीटों पर चुनाव हुआ, जिनमें से 10 सीटों पर 70 प्रतिशत से अधिक वोट पड़े। शेष ST सीटों पर भी मतदान का प्रतिशत 64.3 से 69.96 के बीच रहा। इस बढ़े हुए मतदान के कारणों पर विश्लेषण शुरू हो गया है, और ज्यादातर राजनीतिक जानकार इसे हेमंत सोरेन के इंडिया ब्लॉक के पक्ष में मान रहे हैं। 2019 के चुनाव में भी ST की 28 सीटों में से 26 पर इंडिया ब्लॉक का ही दबदबा रहा था, जबकि केवल दो सीटें भाजपा को मिली थीं।

मईयां सम्मान योजना का प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि हेमंत सोरेन सरकार की मईयां सम्मान योजना ने इस बार मतदाताओं को आकर्षित किया है। राज्य सरकार ने तीन महीने पहले ही इस योजना की शुरुआत की, जिसके तहत 18 से 50 वर्ष की महिलाओं के खाते में हर महीने 1000 रुपये डाले जा रहे हैं। इस योजना का लाभ करीब 49 लाख महिलाओं को मिल रहा है। दिसंबर से इस राशि को 2500 रुपये करने का वादा हेमंत सोरेन ने किया है, जिससे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में इस योजना का प्रभाव काफी गहरा है। वहीं, भाजपा ने भी चुनावी वादा करते हुए महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने के लिए ‘गोगो दीदी योजना’ का ऐलान किया है। लेकिन स्थानीय मतदाता फिलहाल इस योजना पर अधिक भरोसा कर रहे हैं, जिसे उन्होंने सामने की सुविधा के रूप में देखा है।

कांटे की टक्कर और रणनीतिक मुद्दे

झारखंड चुनाव में दोनों गुटों के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है। एनडीए ने हेमंत सरकार की योजनाओं को चुनौती देते हुए बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को भी उठाया है, जिससे आदिवासी वोटों में बदलाव लाने की कोशिश की गई है। हालांकि लोकसभा चुनाव के दौरान हेमंत सोरेन के जेल जाने से आदिवासी वोटर उनके पक्ष में ही खड़े नजर आए थे। वरिष्ठ पत्रकार मधुकर के अनुसार, हेमंत सोरेन का जेल जाना उनके लिए लोकसभा चुनाव में एक संजीवनी साबित हुआ था, और अब विधानसभा चुनाव में भी आदिवासी मतदाता उनके प्रति एकजुट नजर आ सकते हैं।

पहले चरण के मतदान में रिकॉर्ड वोटिंग और आदिवासी समुदाय की विशेष रुचि ने चुनावी स्थिति को दिलचस्प बना दिया है। जहां हेमंत सोरेन सरकार की योजनाओं का असर मतदाताओं पर साफ नजर आ रहा है, वहीं एनडीए भी पूरे दमखम से मुकाबला कर रही है।

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