यह बातें गुरुवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित हिन्दी पखवारा एवं पुस्तक चौदास मेला के ११वें दिन प्रभात-जयंती पर आयोजित समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि, महाभारत के महान-योद्धा कर्ण पर लिखित उनका खंड-काव्य ‘कर्ण’ हो अथवा रामायण की खल स्त्री-पात्र ‘कैकेयी’ पर प्रबंध-काव्य, प्रभात जी ने उन्हें अद्भुत काव्य-कल्पनाओं से भरा है। उनके गीत-संग्रह ‘बैठो मेरे पास’ पठनीयता और रमणीयता के पुलकनकारी उदाहरण हैं।
समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो कृष्ण चंद्र सिन्हा ने कहा कि कविता मनुष्य को जीवनी-शक्ति देती है। इससे जीवन से निराश व्यक्तियों को ऊर्जा बालटी है। समाज को बल मिलता है। प्रभात जी ऐसे ही महान कवि थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं से समाज को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनपर बिहार को गौरव है।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने प्रभात जी के कृतित्व और व्यक्तित्व की विस्तार से चर्चा की तथा कहा कि प्रभात जी पुलिस-सेवा में थे, किन्तु उनका सम्पूर्ण व्यक्तित्व काव्यमय था। उनकी काव्य-प्रतिभा से संपूर्ण काव्य-संसार अभिभूत रहा। छात्र-जीवन में उनसे पुरस्कृत होने का भी अवसर प्राप्त हुआ। सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, प्रो जंग बहादुर पाण्डेय, डा रत्नेश्वर सिंह, बच्चा ठाकुर तथा विभारानी श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन में वरिष्ठ कवयित्री आराधना प्रसाद, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, प्रो समरेंद्र नारायण आर्य, ओम् प्रकाश पाण्डेय, शायरा शमा कौसर ‘शमा’, पूनम कतरियार, आदित्य मोहन झा, प्रियंका श्रीवास्तव, रौली कुमारी, नीता सहाय, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, अरुण कुमार श्रीवास्तव, सदानन्द प्रसाद, स्वर्ग सुमन मिश्र, संजय लाल चौधरी, राज आनन्द, वीणा अम्बष्ठ, ने अपनी रचनाओं महाकवि को काव्यांजलि अर्पित की।
व्यंग्यकार बाँके बिहारी साव, वरिष्ठ रंगकर्मी अभय सिन्हा, दुःख दमन सिंह, ईशा कुमार, रमा शंकर शुक्ल, भरत कुमार, जितेंद्र प्रसाद, उत्कर्ष आनन्द, राज किशोर, प्रेम प्रकाश, मुकेश कुमार समेत बड़ी संख्या में सुधी श्रोता उपस्थित थे। मंच का संचालन कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
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