Lok Sabha Election 2024 : बिहार में सबसे कम 47.38 फीसद मतदान, कहीं वजह ये तो नहीं ?

देश में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के तहत पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को पूरा हुआ। सात चरणों में होने वाले इस चुनाव में सर्वाधिक 102 सीटें पहले चरण में ही थीं। इस पहले चरण (First Phase) में बिहार में हुए मतदान (Bihar Poll)ने पूरे देश को चौंकाया है।

Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: May 2, 2024 8:11 pm

नई दिल्ली : पहले चरण के तहत जिन 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदान हुए ये हैं अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार, जम्मू कश्मीर, लक्षद्वीप और पुद्दुचेरी। इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की 92 विधानसभा सीटों पर भी मतदान हुआ.

बिहार ने पूरे देश को चौंकाया 

आश्चर्य जनक रूप से जब चुनाव संपन्न होने पर भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने राज्यवार मतदान का प्रतिशत जारी किया तो सबसे कम मतदान का प्रतिशत बिहार का ही रहा। पूरे देश का पहले चरण के मतदान का प्रतिशत बिहार को मिलाकर 60 फीसद के करीब है जबकि केवल बिहार की बात करें तो बिहार में मात्र 47.49 वोट पड़े हैं। गया संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक 52 प्रतिशत, औरंगाबाद में 50 प्रतिशत जमुई में 50 प्रतिशत और सबसे कम जमुई में 41.5 प्रतिशत वोट डाले गए। ये वहीं बिहार है जहां लोकसभा ही नहीं विधानसभा और पंचायती चुनाब में भी लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे और चुनाव में भारी हिंसा होती थी। हम ये भी कह सकते हैं कि जो स्थिति आज पश्चिम बंगाल की है वह पहले कभी बिहार की हुआ करती थी।

बिहारी’ बिहार में नहीं रहते

मतदान अधिकारी भले कहें कि गर्मी की वजह से 5 फीसदी वोट कम पड़े, लेकिन हकीकत कुछ और बताई जा रही है।बिहार को लोग दुनिया को पहला लोकतंत्र देने वाले स्थान के रूप में जानते हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि लोगों का अपने नेताओं से मोहभंग हो गया है ? एक हकीकत यह भी बताई जा रही है कि बिहार के वोटर अपने प्रदेश में रोजगार या नौकरी की व्यवस्था नहीं रहने की वजह से आजीविका के लिए प्रदेश छोड़कर दूसरे राज्यों में चले गए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो ‘बिहारी’ बिहार में नहीं रहते।

जनता में कोई उत्साह नहीं 

स्थानीय लोग इसे तीनों का मिलाजुला असर बता रहे हैं। उनका कहना है कि बिहार में सत्ताधारी और विपक्ष में कोई अंतर नहीं है क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही सत्ता और विपक्ष दोनों हैं। इसलिए बिहार की जनता चुनावी नूरा-कुश्ती का अर्थ समझ चुकी है। इस वजह से चुनाव को लेकर जनता के बीच कोई उत्साह नहीं रहा। उत्तर प्रदेश में पहले चरण में आठ संसदीय सीटों पीलीभीत, बिजनौर, नगीना, कैराना, सहारनपुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और रामपुर में भी पहले चरण के वोटिंग का प्रतिशत 57.61 फीसदी ही रहा है। जाहिर है राष्ट्रीय औसत की तुलना में ये भी कम है।

आनलाइन मीडिया पर 36.5 करोड़ फूंके 

ऐसी स्थिति तब है जब राजनीतिक दलों ने केवल आनलाइन प्रचार प्रचार पर 36.5 करोड़ रुपये फूंक डाले हैं बताया जा रहा है कि बीजेपी ने गूगल विज्ञापन पर 14.7 करोड़ रुपये खर्च किए। कांग्रेस अपने प्रचार के लिए गूगल प्लेटफॉर्म पर 12.3 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। लोकतंत्र में मतदान में कम होती जनता की भागीदारी निश्चित तौर चिंता का विषय है।

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