बिहार में भी पांच चरण के चुनाव हो चुके हैं. इन सभी पांच चरणों के चुनाव में पीएम मोदी ने दो-दो , तीन-तीन रैलियां की हैं और पटना में रोड शो कर सियासी माहौल को पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
2019 में पीएम मोदी ने की थी 11 रैलियां
छठे चरण के चुनाव के लिए मोतिहारी और गोपालगंज में चुनावी सभा कर पीएम मोदी ने 2019 में अपनी ही 11 रैलियों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया.सातवें चरण के चुनाव के लिए भी पीएम मोदी की बिहार में रैलियां करने वाले हैं।
बिहार में ‘माय’ की जगह ‘बाप’ के समीकरण ने बढ़ाई बेचैनी !
बिहार में पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैली महागठबंधन के नए सियासी समीकरण मुस्लिम-यादव यानी माय (MY)की जगह बाप (BAAP) को कमजोर करने की रणनीति है. बिहार में तेजस्वी यादव की एक-एक दिन में पांच-पांच रैलियों ने सत्ताधारी पार्टी में हलचल मचा दी है. तेजस्वी यादव अपनी चुनावी रैली में अब माय समीकरण यानी मुस्लिम यादव समीकरण की बात नहीं कर BAAP यानी बहुजन, अगड़ा, औरत औऱ पिछड़ों की बात उठा रहे हैं. सियासी जानकारों के मुताबिक तेजस्वी यादव की रैली में उमड़ रही भीड़ और महागठबंधन में शामिल दलों के जातीय समीकरण से NDA खेमे में बेचैनी है।
चुनाव में नहीं दिख रहा नीतीश का आक्रमक अंदाज
बिहार NDA की सबसे मजबूत पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के मुखिया और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस चुनाव में निष्क्रिय नजर आ रहे हैं। पीएम मोदी की रैली में नीतीश ने एक दो बार मोदी के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी थी. वहीं नीतीश कुमार के बीमार पड़ने से भी पीएम मोदी की ज्यादा रैली बिहार में बीजेपी को करानी पड़ रही है। पीएम मोदी न सिर्फ बीजेपी के लिए बल्कि अपनी सहयोगी पार्टी जेडीयू और हम, लोजपा रामविलास के उम्मीदवारों के लिए भी जनसभाएं कर रहे हैं।
2019 की सफलता दोहराने की बड़ी चुनौती
बिहार में NDA के लिए 2019 की सफलता को दोहराना बड़ी चुनौती है। 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA ने बिहार की 40 में से 39 सीट पर जीत हासिल की थी। बिहार में यह अबतक की किसी भी गठबंधन की सबसे बड़ी जीत थी। मुख्य विपक्षी पार्टी राजद लोकसभा में खाता तक नहीं खोल पायी थी। राजद की सहयोगी कांग्रेस ने सिर्फ किसी तरह एक सीट पर जीत हासिल की थी। 2024 लोकसभा चुनाव में पांच चरणों के चुनाव के जो रुझान मिल रहे हैं वो बिहार में बीजेपी के साथ ही NDA के लिए आसान नहीं बता रहे हैं। बिहार में NDA और महागठबंधन के बीच मुकाबला बड़े छोटे का नहीं बल्कि कांटे का है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक मुकाबले में बढ़त बनाने के लिए ही बीजेपी बिहार में पीएम मोदी की इतनी जनसभाएं करा रही है।