Lok Sabha Elections 2024 : पीएम मोदी ने कांग्रेस पर लगाया मुसलमानों का पक्ष लेने का आरोप, पर आंकड़े उलट

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शीर्षस्थ नेता और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने पिछले दिनों कांग्रेस पर संविधान की अवहेलना कर दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़ों के आरक्षण को कम करने और मुसलमानों को देने का प्रयास करने का आरोप लगाया था। लेकिन आज के आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं।

एक जनसभा के दौरान मंच पर पीूएम नरेंद्र मोदी
Written By : श्याम नारायण प्रधान | Updated on: April 25, 2024 11:45 am

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शीर्षस्थ नेता व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 23 अप्रैल को कांग्रेस पर संविधान की अवहेलना करते हुए दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के आरक्षण को कम करने और मुसलमानों को देने का प्रयास करने का आरोप लगाया। मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने इसे पूरे देश में विस्तारित करने के इरादे से आंध्र प्रदेश में एक “पायलट प्रोजेक्ट” के रूप में लॉन्च किया था।

राजस्थान के टोंक जिले में चुनावी रैली में पीएम कही ये बात 

मोदी ने कहा कि 2004 में जैसे ही कांग्रेस ने केंद्र में सरकार बनाई, उसका पहला काम आंध्र प्रदेश में एससी/एसटी आरक्षण को कम करना और मुसलमानों को कोटा देना था। 2004 और 2010 के बीच, कांग्रेस ने उस राज्य में मुस्लिम आरक्षण लागू करने के चार प्रयास किए, लेकिन कानूनी बाधाओं और सुप्रीम कोर्ट की सतर्कता के कारण वह सफल नहीं हो सकी। मोदी राजस्थान के टोंक जिले में एक चुनावी रैली में थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के उस बयान को भी उछाला जिसमें उन्होंने देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का बताया था। 

क्या वाकई मोदी पूरी गम्भीरता और जिम्मेदारी से अपनी बात कह रहे थे या चुनावी धर्म का पालन कर रहे थे? पड़ताल करने पर यह तो नहीं लगता कि मुसलमानों को कुछ कम दिया है नरेन्द्र मोदी ने। तनिक इन आँकड़ों पर दृष्टि डालेः

क्रमांक अल्पसंख्यक नीतियां 2014 से पहले 2014 के बाद
1 सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 4.5 % 10 %
2 सिविल सर्विस में हिस्सेदारी 2.5 % 5 %
3 कौशल विकास प्रशिक्षण 20,000 लाभार्थी 21,50,000 लाभार्थी
4 छात्रवृत्ति 3.03 करोड़ को 5.20 करोड़ को
5 प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति 855 करोड़ रुपये 1425 करोड़ रुपये
6 यूपीएससी के लिए नई उड़ान योजना 483 लाभार्थी 4142 लाभार्थी
7 पढ़ो परदेश योजना 0 3251 लाभार्थी 
8 अल्पसंख्यक लड़कियों के लिए बेगम हजरत महल योजना 1,49,382 लाभार्थी 2,57,908 लाभार्थी
9 सीखो और कमाओ 20,164 लाभार्थी 3,17,290 लाभार्थी
10 हुनर हाट योजना ऐसी कोई योजना नहीं थी 2 लाख लाभार्थी
11 स्वरोजगार के लिए ऋण 1786 करोड़ रुपये 1979 करोड़ रुपये
12 सरकारी संसाधनों पर अधिकार 15-25 % 30-40 %

 

इसके अलावा भी हैं चौंकाने वाले आंकड़े

इसके अलावा, प्रधानमंत्री आवास योजना में 31 % की हिस्सेदारी, किसान सम्मान निधि में 33 % की हिस्सेदारी, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में 37 % की हिस्सेदारी, मुद्रा लोन योजना में 36 % की हिस्सेदारी मुसलमानों को मिली है। आंकड़े तो ऐसा नहीं बता रहे हैं कि कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए अधिक किया और भाजपा सरकार ने कम किया। रहा सवाल धर्म के नाम पर आरक्षण का तो नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने मुसलमानों की 72 जातियों को ओबीसी में आरक्षण दे रखा था।

चुनाव जीतने के एक दूसरे पर लगाए जा रहे लांछन 

कहने का तात्पर्य यह है कि चुनाव जीतने की जिद और जुगत में दूसरे दलों पर लांछन लगाना या स्वयं को अच्छी नीयत का बताना उस प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता जो राजनीतिक शुचिता को अपनी पहचान बताता हो। आरक्षण धर्म के नाम पर हो तो दिक्कत किन्तु जाति के नाम पर हो तो ठीक। मण्डल कमीशन को भाजपा ने ही बड़े शान से लागू किया था। संविधान में क्या है और क्या नहीं है, इसकी व्याख्या भी अपने मुताबिक करने की महारत हासिल है राजनीतिक दलों को। ऐसे में भाजपा भी कहाँ पीछे रहने वाली है। 

साधनहीनों को आगे लाने का काम आर्थिक आधार पर क्यों नहीं ?

यदि आरक्षण का उद्देश्य पिछड़ों व साधनहीनों को आगे लाना है तो यह आकलन जाति के आधार पर क्यों होता है, आर्थिक आधार पर क्यों नहीं? इस आरक्षण ने ही तो समाज को बाँट रखा है। सबको लगता है कि उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए। यदि इस आरक्षण के बूते लोगों का आर्थिक स्तर ऊपर लाने की मंशा है तो धर्म और जाति के आधार क्यों? क्या यह जातिगत वैमनस्व को प्रश्रय देने वाली नीति नहीं लगती है? भाजपा ही नहीं सभी दल इस दलदल में नहीं घुसना चाहते हैं कि आरक्षण का आधार क्या होना चाहिए। एक बार आरक्षण पाने वाली जातियों को लाभ मिलने लगा तो फिर राष्ट्रहित में कौन उसे छोड़ने की व्यापक दृष्टि रखता है? कोई नहीं। 

भाजपा भी आरक्षण के बेताल को अपनी पीठ पर लादे रखना चाहती है तो उसकी मर्जी किन्तु फिर उसे ऐसा दावा नहीं करना चाहिए कि वह एक बेहतर भविष्य या समाज के लिए कार्य कर रही है। सत्ता तक पहुँचने और पहुँचने के बाद वहाँ बने रहने के लिए वह भी उन्हीं रास्तों पर चलती है जिसके लिए वह दूसरों पर ताने मारती है या लांछन लगाती है। 

#Prime Minister Narendra Modi , #Reservation Policy ,#Religious Politics

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