लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) चुनाव पर नजर
लोकसभा चुनाव के बाद अब सबकी नजर लोकसभा स्पीकर के चुनाव पर है. क्योंकि वहीं तय होगा कि सरकार और विपक्ष में कितनी शक्ति है. पहले माना जा रहा था कि विपक्ष स्पीकर के चुनाव में साथ नजर आएगा और सर्व सम्मत से लोकसभा अध्यक्ष चुना जाएगा. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है. विपक्ष यानी इंडी गठबंधन भी स्पीकर के लिए अपना प्रत्याशी उतारने के मूड में है. अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा स्पीकर के चुनाव में घमासान देखने को मिल सकता है.सरकार से क्या है विपक्ष की नाराजगी !
ओडिशा से सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब (Bhartruhari Mahtab) को लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष यानी प्रोटेम स्पीकर (Protem Speaker) नियुक्त करने पर कांग्रेस (Congress) भड़क गई है. कांग्रेस ने भर्तृहरि महताब की नियुक्ति को परंपरा का उल्लंघन बताया है. कांग्रेस ने सरकार पर संसदीय परंपरा का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अभीतक यह परिपाटी थी कि सबसे अनुभवी सांसद को ही प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी दी जाती रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने ऐसा नहीं करके कांग्रेस के सबसे अनुभवी और आठ बार के सांसद के. सुरेश ((Kodikunnil Suresh) की अनदेखी की है.
24 जून से शुरू हो रहा है लोकसभा का नया सत्र
18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू हो रहा है. नव निर्वाचित सांसद 24 और 25 जून को शपथ लेंगे. जबकि लोकसभा अध्यक्ष यानी स्पीकर (Lok Sabha Speaker) का चुनाव 26 जून को होगा. नए सांसदों को भर्तृहरि महताब शपथ दिलवाएंगे. स्पीकर का चुनाव होने तक सातवीं बार सांसद बने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के भर्तृहरि महताब (Bhartruhari Mahtab) पीठासीन अधिकारी यानी प्रोटेम स्पीकर (Protem Speakaer) के रूप में काम करेंगे.
स्पीकर को लेकर विपक्ष ने पहले भी खेला दांव
लोकसभा चुनाव के बाद से ही विपक्ष लोकसभा स्पीकर पद को लेकर लगातार दांव चल रहा है. इंडिया गठबंधन के नेताओं ने जदयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kuamr) और टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू (chandr Babu Naidu) से अपील की कि वे खुद अपना लोकसभा स्पीकर बनाने के लिए दबाव बनाएं. लेकिन विपक्ष का यह दांव नहीं चला तो उसने अपना प्रत्याशी उतारने का मन बनाया है.
लोकसभा में स्पीकर का पद सबसे महत्वपूर्ण
लोकसभा स्पीकर के पास असीमित शक्तियां हैं. उनके पास यह तय करने का अधिकार है कि कौन सा सदस्य संसद को संबोधित कर सकता है या सदन में सवाल उठा सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह किसी कानून को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है. जिसे सरकार धन विधेयक के रूप में पारित करना चाहती है. स्पीकर की भूमिका बहुमत साबित करने के समय सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है.. ऐसे में अगर लोकसभा में विपक्ष का स्पीकर होगा तो सरकार को कामकाज चलाना बहुत मुश्किल होगा. हालांकि इसकी संभावना काफी कम है. सरकार यदि लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देती है तो लोकसभा स्पीकर का चुनाव सर्वसम्मति से होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाएगी.