मालेगांव विस्फोट मामले के आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) (Unlawful Activities (Prevention) Act – UAPA) , शस्त्र अधिनियम और अन्य सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है। कोर्ट ने अपने फैसला में कहा कि अभियोजन पक्ष मामला साबित नहीं कर पाया और आरोपियों को बिना पर्याप्त सबूतों के सजा नहीं दी जा सकती। यह फैसला विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने सुनाया।
यह ब्लास्ट 29 सितंबर 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में हुआ था जो कि सांप्रदायिक रूप से काफी संवेदनशील इलाका माना जाता है। यह धमाका इस्लाम में पवित्र माने जाने वाले रमज़ान महीने के दौरान और हिंदू त्यौहार नवरात्रि से ठीक पहले हुआ था। इस घटना में 6 लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
इस मामले में सात लोग मुख्य आरोपी बनाए गए थे जिसमें भोपाल से पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और सैन्य खुफिया में तत्कालीन सेवारत अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित जैसे बड़े नाम शामिल थे। अन्य आरोपियों के नाम थे – मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय रहीरकर,सुधाकर द्विवेदी,सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी।
प्रज्ञा ठाकुर को मालेगांव विस्फोट होने के कुछ दिनों बाद गिरफ्तार कर लिया गया था क्योंकि विस्फोट में इस्तेमाल होने वाली मोटरसाइकल उनके नाम पर पंजीकृत पाई गई थी। महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) (Anti Terrorist Squad) के अनुसार,कुछ सांप्रदायिक तत्वों ने पिछले हुए आतंकवादी हमलों का बदला लेने के लिए मुस्लिम बहुल इलाकों में विस्फोट की साजिश रची थी। तत्कालीन सैन्य खुफिया शाखा में कार्यरत लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित पर अभिनव भारत नामक एक कट्टरपंथी हिंदू संगठन की सहायता करने का आरोप था। हालांकि एनआईए यह साबित नहीं कर पाई कि धमाके वाली मोटरसाइकल प्रज्ञा ठाकुर की ही थी या फिर लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के घर पर आरडीएक्स (RDX) रखा गया था।
इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस (CM Devendra Fadnavis) ने कहा कि भगवा कभी भी आतंक नहीं हो सकता। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने न्यायपालिका के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस फैसले से उन्हें देश की सेवा में वापस लौटने का अवसर मिलेगा।
ये भी पढ़ें – सेना के ‘ऑपरेशन महादेव’ में पहलगाम आतंकी हमले के ‘मास्टरमाइंड’ समेत 3 आतंकवादी ढ़ेर