महिला सुरक्षा पर कई कड़े कानून बने…., PM Modi ने जजों के सम्मेलन में कहा

सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर पीएम मोदी शनिवार को जजों के अखिल भारतीय सम्मेलन में शामिल हुए. इस दौरान PM MODI ने महिला सुरक्षा पर बात की उन्होंने कहा कि महिलाओं को जल्दी इंसाफ मिले, तभी आधी आबादी को भरोसा मिलेगा

Written By : अभिनव कुमार | Updated on: August 31, 2024 6:36 pm

PM Narendra Modi ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की मौजूदगी में अन्य जजों से महिला अपराध से जुड़े मामलों को लेकर बड़ी बात कही है। पीएम ने कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा और उनके खिलाफ होने वाले अपराध के मामलों के फैसलों में तेजी लाने की जरूरत है। बीते दिनों कलकत्ता में लेडी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्याकांड के बाद पीएम ने पहली बार उससे जुड़े मुद्दे पर बोला है। हालांकि कलकत्ता मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था।

PM Modi ने कहा कि आज के समय में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा समाज के लिए गंभीर समस्या है। भारत में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई कठोर कानून बने है। अब इन कानूनों को सक्रिय करने की जरूरत है। देश की आधी आबादी को सुरक्षित रखने के लिए महिला अत्याचार से जुड़े मामलों के फैसलों में तेजी लाने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न्याय में देरी को खत्म करने के लिए बीते एक दशक में कई स्तर पर काम हुए हैं. पिछले दस सालों में देश ने न्यायिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए करीब 8 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं. पिछले 25 साल में जितनी राशि इस मद में खर्च की गई है, उसका 75 फीसदी पिछले दस सालों में ही हुआ है.

सुप्रीम कोर्ट के गौरवपूर्ण 75 साल महज यात्रा नहीं

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष- एक संस्था की महज यात्रा भर नहीं है. यह भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की यात्रा है. यह यात्रा एक लोकतंत्र के रूप में भारत के और परिपक्व होने की है. उन्होंने कहा कि भारतीयों ने हमारे सुप्रीम कोर्ट पर, हमारी न्यायपालिका पर हमेशा विश्वास किया है. भरोसा किया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ये 75 साल मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत के गौरव को और बढ़ाते हैं

Pm Modi के भाषण की अन्य अहम बातें

  • न्याय में देरी को खत्म करने के लिए बीते एक दशक में कई स्तर पर काम हुए हैं। पिछले 10 सालों में देश ने ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग 8 हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। पिछले 25 साल में जितनी राशि ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की गई, उसका 75 प्रतिशत पिछले 10 सालों में ही हुआ है।
  • भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला है। इन कानूनों की भावना है- ‘Citizen First, Dignity First and Justice First।’ हमारे क्रिमिनल लॉ शासक और गुलाम वाली कोलोनियल सोच से आजाद हुए हैं।
  • पिछले 10 सालों में अदालतों के आधुनिकीकरण के लिए मिशन स्तर पर काम किया जा रहा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज का कार्यक्रम भी इसका उदाहरण है। अगले दो दिनों में लंबित मामलों के प्रबंधन, मानव संसाधन और कानूनी बिरादरी की बेहतरी समेत कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी। इसमें ‘न्यायिक कल्याण’ पर एक सत्र भी शामिल किया गया है।
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