36 सीटें, नौ मंत्री
2014 में यूपी से एनडीए ने 73 सीटें जीती थीं और 18 मंत्रियों को मंत्रिमंडल में रखा था। 2019 में सीटों की संख्या घट कर 64 हो गई तो मंत्री भी कम होकर 13 हो गए। इस बार मात्र 36 सीटें ही एनडीए जीती लेकिन मंत्री नौ हैं। ( यूपी कोटे से राज्यसभा सदस्य हरदीप पुरी को छोड़ कर) देखा जाए तो पहले की सीटों की तुलना में मंत्रियों की संख्या आठ प्रतिशत अधिक है। सात मंत्री हाल के लोकसभा चुनाव जीत कर आए हैं जबकि दो राज्यसभा के सदस्य हैं।
पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी पर खास ध्यान
नए मंत्रिमंडल के चयन में यूपी के आगामी विधान सभा चुनावों का पूरा ध्यान रखा गया है और लगभग साढ़े तीन सौ सीटों के जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है। मंत्रियों में पूर्वांचल को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया है। वहां से तीन मंत्री हैं। इस बार के चुनाव में भाजपा को सबसे अधिक झटका पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी ने ही दिया। पूर्वाचल में 27 लोकसभा सीटें हैं जिनमें से 2019 में भाजपा 20 सीटें जीती थी लेकिन इस बार ये घटकर कर दस रह गईं। यहां अपने को मजबूत करने के लिए तीन मंत्री बनाये गये हैं। पश्चिमी यूपी में भाजपा ने 29 में 14 सीटें जीतीं। दो सीटें रालोद को मिलीं। 2019 में भाजपा ने 21 सीटें जीतीं थीं। इसी से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कैबिनेट में बढाया गया और तीन मंत्री बनाये गये। मध्य यूपी और बुंदेलखंड में भाजपा ने 24 में से नौ सीटें जीतीं। यहां से केवल एक मंत्री हैं। यहां के समीकरणों को साधने के लिए भाजपा भविष्य में कुछ और कदम उठा सकती है।
कीर्तिबर्धन सिंह को मंत्री बना चौंकाया
इस बार गोंडा के कीर्तिबर्धन सिंह को मंत्री बनाकर मोदी ने चौंकाया है। समझा जा रहा है कि उनके रूप में ब्रजभूषण सिंह की काट तैयार की गई है। दोनों ही गोंडा से है। कीर्तिबर्धन सिंह तीसरी बार गोंडा सीट से जीते हैं। वह मनकापुर राजघराने से आते हैं। उनके पिता आनंद सिंह भी सांसद रह चुके हैं। वह पहले सपा में थे और 2014 में भाजपा में शामिल हुए हैं। ब्रजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों द्वारा लगाये गए आरोप के बाद भाजपा की किरकिरी हुई थी। उनका भी कई सीटों पर दबदबा है। भाजपा उन्हें नाराज नहीं करना चाहती थी इसी से उनकी जगह उनके बेटे को कैसरगंज से चुनाव लड़ाया गया और वह जीते भी। कीर्तिबर्धन सिंह को मंत्री बनाकर भाजपा राजपूतों में उभरी नाराजगी को भी साधना चाहती है।
जाटव समुदाय से कोई नहीं
जातीय संतुलन बनाने में चार मंत्री ओबीसी से रखे गए हैं जिनमें दो अतिपिछड़े वर्ग के हैं। दलित समुदाय से दो मंत्री हैं। तीन सवर्ण हैं। जाटव और कुर्मी समुदाय से कोई भी मंत्री नहीं है। इस बार के चुनाव में जाटव वोटर इंडिया गठबंधन की ओर चले गए। इस समुदाय को रिझाने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है ,यह देखना होगा।
मंत्रियों का परिचय
1 राजनाथ सिंह- उम्र 72, तीसरी बार भी मोदी मंत्रिमंडल में नंबर दो की स्थिति। लखनऊ से लगातार दूसरी बार जीते, राजपूत, शिक्षा एमएससी फिजिक्स, सन 2000 में यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे। उप्र विधान सभा और विधान परिषद के भी सदस्य रहे।
2 कमलेश पासवान- उम्र 47, शिक्षा 10 वीं पास, पूर्वाचल के प्रभावी दलित नेता। गोरखपुर के बांसगांव से लगातार चौथी बार लोकसभा सदस्य।
3 पंकज चौधरी- उम्र 59,शिक्षा बीए, प्रभावशाली ओबीसी नेता। मोदी से निकटता। महराजगंज से सातवीं बार जीत दर्ज करा चुके हैं। निवर्तमान सरकार में वित्त राज्य मंत्री।
4 कीर्तिबर्धन सिंह– उम्र 58, शिक्षा एमए,राजपूत नेता। गोंडा सीट से लगातार दूसरी बार जीते। मनकापुर राजघराने से संबंध। 2014 में सपा से भाजपा से संबंध।
5 एसपी सिंह बघेल- उम्र 64,शिक्षा एमएससी,एलएलबी। प्रभावी ओबीसी नेता। पहले सपा में। जलेसर सीट से तीन बार सांसद। बाद में बसपा में शामिल और राज्य सभा में पहुंचे। आगरा से जीते। भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं। निवर्तमान सरकार में राज्य मंत्री।
6 जितिन प्रसाद- उम्र 50, पीलीभीत से जीते।शिक्षा एमबीए। 2021 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। यूपी सरकार में मंत्री रहते हुए जीते। मनमोहन सरकार में भी मंत्री।
7 बीएल वर्मा- उम्र 62, शिक्षा एमए, प्रभावशाली ओबीसी नेता। अमित शाह के निकट। उप्र से राज्यसभा सदस्य, कल्याण सिंह के शिष्य, पिछली सरकार में सहकारिता राज्य मंत्री।
8 अनुप्रिया पटेल- उम्र 43,शिक्षा एमए, एबीए, अपना दल की नेता। दिग्गज ओबीसी नेता सोने लाल पटेल की बेटी। 2014 से मिर्जापुर सीट का प्रतिनिधित्व, पहली दोनों सरकारों में मंत्री।
9 जयंत चौधरी- उम्र 45, शिक्षा स्नातक, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष, चौधरी चरण सिंह के पौत्र और चौधरी अजित सिंह के पुत्र, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में शामिल हुए। राज्यसभा सदस्य।