प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इन विकास योजनाओं का शिलान्यास कर ये संदेश देने की कोशिश की कि फिर राजग की सरकार बनी तो तेजी से राज्य का विकास होगा। इसके साथ ही उन्होंने अपने भाषण में ये कह कर अपनी जुबान के पक्के होने का संदेश दिया कि पहलगाम हमले के बाद बिहार की जनसभा में उन्होंने जो वादा किया था उसे पूरे किया। उन्होंने कहा कि सासाराम का नाम ही राम है। ‘प्राण जाई पर वचन न जाई’ वाक्य को दोहराते हुए उन्होने याद दिलाई और कहा कि बिहार की धरती से मैंने वचन दिया था कि आतंक के आकाओं के ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया जाएगा. इस तरह उन्होंने अपने वचन को पूरा किया।
मोदी ने एक तरफ तो जनता में राष्ट्र प्रथम की भावना को जाग्रत किया और दूसरी ओर जनता को यह भी संदेश दिया कि एनडीए एकजुट है। यही वजह रही कि मंच तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के साथ खुली गाड़ी में पहुंचे। संदेश स्पष्ट था कि बिहार में जदयू और भाजपा एकजुट है और चुनावी दौर में ये गठबंधन बहुत मजबूत है। जदयू नेता नीतीश कुमार अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री का नाम भले भूल गए लेकिन इसकी क्षतिपूर्ति उन्होंने मोदी के समक्षबार-बार हाथ जोड़कर कर दी।
जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने राजद और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा और कहा कि जिनके राज में बिहार से सर्वाधिक लोग राज्य छोड़ कर वही लोग सामाजिक न्याय का ढोंग कर रहे हैं। आज बिहार में वर्ल्ड क्लास ट्रेनें चल रही हैं.. ये काम पहले भी हो सकते थे लेकिन जिन्हें ये जिम्मेदारी मिली थी उन्होंने नौकरी के नाम पर दूसरों की जमीनें लूटने का काम किया। जंगलराज के तौर तरीके से आप लोगों को आगे सावधान रहने की जरूरत है।
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