पुतिन का यह दो दिवसीय दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-रूस संबंधों में रक्षा, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दे लंबित हैं। बुधवार को दोनों नेताओं के बीच औपचारिक वार्ता होगी, जिसके दौरान विभिन्न क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर होना तय माना जा रहा है।
होगा औपचारिक स्वागत, फिर शिखर बैठक
राष्ट्रपति पुतिन के सम्मान में शुक्रवार को राजकीय स्वागत समारोह आयोजित होगा। इसके बाद वे राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे। दिन में 11:50 बजे हैदराबाद हाउस में 23 वां भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता शुरू होगी, जिसमें रक्षा सहयोग, सैन्य तकनीक, परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं, व्यापारिक बाधाओं को दूर करने और रूसी बाजार में भारतीय निर्यात बढ़ाने पर चर्चा होनी है।
रक्षा सहयोग पर विशेष जोर
वार्ता का सबसे अहम हिस्सा रक्षा सहयोग माना जा रहा है। आधुनिक लड़ाकू विमानों से लेकर संयुक्त उत्पादन परियोजनाओं तक कई प्रस्ताव लंबित हैं। सैन्य उपकरणों की समय पर आपूर्ति और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति पर भी दोनों नेता बातचीत करेंगे। भारत रूस के साथ रक्षा उत्पादन में ‘मेक इन इंडिया’ मॉडल को और मजबूत करना चाहता है।
ऊर्जा और व्यापार पर भी बातचीत
ऊर्जा सुरक्षा भारत की बड़ी प्राथमिकता है। कच्चे तेल की आपूर्ति, भुगतान प्रणाली, तथा दीर्घकालीन व्यापारिक ढांचे पर चर्चा तय मानी जा रही है। कृषि, फार्मा, स्वास्थ्य और तकनीक के क्षेत्रों में भी नए समझौते तैयार किए गए हैं, जिन पर औपचारिक मुहर लग सकती है।
संभावित समझौतों पर अपेक्षाएं
रक्षा: आधुनिक एयर-डिफेंस सिस्टम और संयुक्त रक्षा उत्पादन व स्पेयर-सप्लाई पर करार की संभावना।
ऊर्जा: दीर्घकालिक तेल व ऊर्जा आपूर्ति, भुगतान व्यवस्था व निवेश परियोजनाएँ।
व्यापार व उद्योग: कृषि, उर्वरक, स्वास्थ्य व टेक्नोलॉजी में साझेदारी व निवेश समझौते।
राष्ट्रपति भवन में राज्य भोज
शाम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति भवन में पुतिन के सम्मान में राजकीय भोज देंगी। इसके साथ ही दौरे का औपचारिक समापन होगा। यह वार्षिक भारत-रूस शिखर बैठक 2022 के बाद पहली बार हो रही है, इसलिए इसे द्विपक्षीय संबंधों के पुनर्सक्रियन (री-सेट) के रूप में देखा जा रहा है।
एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन का स्वयं स्वागत कर मोदी ने उनके इस दौरे के महत्व का स्पष्ट संकेत दिया है। अब निगाहें शुक्रवार को होने वाली वार्ताओं और संभावित समझौतों पर होंगी, जिनसे यह तय होगा कि भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी आने वाले वर्षों में किस दिशा में बढ़ेगी।
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