नीतीश कैबिनेट विस्तार: BJP ने जातीय गणित साधते हुए 7 मंत्री बनाए

बिहार में नीतीश कुमार सरकार के कैबिनेट का विस्तार हुआ। भाजपा कोटे से सात नए मंत्रियों ने शपथ ली। जानें जातीय समीकरण, शिक्षा, संपत्ति और विवाद।

26 फरवरी, 2025 को पटना में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान विधायक संजय सरावगी, जिबेश कुमार, सुनील कुमार, राजू कुमार सिंह, कृष्ण कुमार मंटू, विजय कुमार मंडल और मोती लाल प्रसाद। फोटो साभार: पीटीआई
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: February 26, 2025 10:59 pm

बुधवार को बिहार में नीतीश कुमार सरकार के कैबिनेट का विस्तार किया गया। इस विस्तार में सात नए मंत्रियों ने शपथ ली, और ये सभी भाजपा कोटे से आए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस विस्तार में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने की पूरी कोशिश की गई है

कौन-कौन बने मंत्री?

बिहार कैबिनेट विस्तार में सात नए चेहरे शामिल किए गए। ये विधायक विभिन्न जिलों और समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं:

  1. विजय कुमार मंडल – सकटी, अररिया
  2. जीवेश मिश्रा – जाले, दरभंगा
  3. संजय सरावगी – दरभंगा नगर, दरभंगा
  4. मोतीलाल प्रसाद – रीगा, सीतामढ़ी
  5. राजू कुमार सिंह – साहेबगंज, मुजफ्फरपुर
  6. डॉ. सुनील कुमार – बिहारशरीफ, नालंदा
  7. कृष्ण कुमार मंटू – अमनौर, सारण

जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का संतुलन

इस विस्तार में भाजपा ने विभिन्न जातियों को संतुलित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की:

  • अगड़ी जातियां (सवर्ण):
    • राजपूत: राजू कुमार सिंह
    • भूमिहार: जीवेश मिश्रा
    • मारवाड़ी: संजय सरावगी
  • पिछड़ी जातियां (OBC):
    • कुशवाहा: डॉ. सुनील कुमार
    • तेली: मोतीलाल प्रसाद
  • अत्यंत पिछड़ी जाति (EBC):
    • केवट: विजय कुमार मंडल
  • कुर्मी (मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति, OBC):
    • कृष्ण कुमार मंटू

यादव समुदाय को नहीं मिली जगह

राजनीतिक जानकारों का मानना था कि भाजपा राजद (RJD) के परंपरागत यादव वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए किसी यादव विधायक को मंत्री बना सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पार्टी ने तीन सवर्ण और चार पिछड़ी जातियों के नेताओं को शामिल किया, जिससे संतुलन बना रहे।

मंत्रियों की शिक्षा और संपत्ति का ब्योरा

शिक्षा स्तर:

  • 10वीं पास: विजय कुमार मंडल, कृष्ण कुमार मंटू
  • 12वीं पास: मोतीलाल प्रसाद
  • स्नातकोत्तर (Post Graduate): जीवेश मिश्रा, संजय सरावगी
  • MBBS: डॉ. सुनील कुमार
  • PhD: राजू कुमार सिंह

संपत्ति:

  • सबसे अमीर: डॉ. सुनील कुमार (₹11.35 करोड़)
  • सबसे कम संपत्ति: मोतीलाल प्रसाद (₹1.10 करोड़)
  • सभी मंत्री करोड़पति हैं

सातों मंत्रियों ने 2020 के चुनावी हलफनामे में अपने ऊपर आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी दी थी:

  • राजू कुमार सिंह: 10 मामले
  • कृष्ण कुमार मंटू: 9 मामले
  • डॉ. सुनील कुमार: 7 मामले
  • जीवेश मिश्रा: 5 मामले
  • मोतीलाल प्रसाद, संजय सरावगी: 4-4 मामले
  • विजय कुमार मंडल: 1 मामला

कैबिनेट विस्तार के बाद सीटें फुल

बिहार विधानसभा में कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस विस्तार से पहले नीतीश कैबिनेट में 30 मंत्री थे। भाजपा कोटे के दिलीप जायसवाल के इस्तीफे के बाद संख्या घटकर 29 हो गईअब सात नए मंत्रियों की शपथ के साथ कैबिनेट की अधिकतम सीमा पूरी हो गई है

भाजपा की रणनीति और चुनावी तैयारी

इस विस्तार में भाजपा ने:
✔️ अगड़ी जातियों और पिछड़ी जातियों का संतुलन साधा
✔️ अपने कोर वोटबैंक (राजपूत, भूमिहार, बनिया) को मजबूत किया
✔️ नीतीश कुमार के कुर्मी वोटबैंक को भी साधा
✔️ EBC (केवट) और OBC (तेली, कुशवाहा) को जगह देकर सामाजिक संतुलन बनाने की कोशिश की

बिहार कैबिनेट विस्तार में भाजपा ने जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है। यह विस्तार 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है। आने वाले समय में देखना होगा कि भाजपा और नीतीश कुमार की जोड़ी राजनीतिक समीकरणों को किस तरह साधती है और जनता का समर्थन कैसे हासिल करती है

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