संभल हिंसा : 10 दिसंबर तक बाहरी को ‘नो एंट्री’, अखिलेश बोले- BJP की नाकामी का नतीजा

उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद विवाद के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए समाजवादी पार्टी की टीम को प्रवेश से रोक दिया गया। इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए प्रशासन की नाकामी का आरोप लगाया और पूरे प्रशासनिक तंत्र को निलंबित करने की मांग की।

Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: November 30, 2024 9:30 pm

उत्तर प्रदेश में संभल हिंसा का जायजा लेने जा रही समाजवादी पार्टी (सपा) की 15 सदस्यीय टीम को शनिवार को संभल में प्रवेश करने से रोक दिया गया। यह टीम शाही जामा मस्जिद में हाल ही में हुई हिंसा की जांच के लिए जा रही थी। इस घटना पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। टीम का नेतृत्व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे कर रहे थे। हालांकि, जिला प्रशासन ने बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर 10 दिसंबर तक रोक लगा दी है। संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने कहा, “किसी भी बाहरी व्यक्ति, सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि को सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना जिले में प्रवेश की अनुमति नहीं है।” यह कदम 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद पर कोर्ट-आदेशित सर्वे के बाद हुई हिंसा के मद्देनजर उठाया गया। उस दौरान विरोध कर रहे लोगों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई, जिसमें पथराव, आगजनी और 3 लोगों की मौत हो गई।

अखिलेश यादव का हमला

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर सरकार की निंदा करते हुए इसे प्रशासनिक विफलता करार दिया। उन्होंने लिखा, “प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। अगर सरकार ने पहले ही उन पर प्रतिबंध लगाया होता जो दंगे भड़काने और उन्मादी नारे लगवाने का सपना देख रहे थे, तो संभल में शांति और सौहार्द बना रहता।” सपा प्रमुख ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को निलंबित करने की भी मांग की और आरोप लगाया कि यह साजिश और लापरवाही का परिणाम है।

टीम को रोकने का विरोध

माता प्रसाद पांडे ने दावा किया कि गृह सचिव संजय प्रसाद और संभल के जिलाधिकारी ने उनसे फोन पर यात्रा स्थगित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, “मुझे लिखित में नोटिस देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। केवल फोन पर बात कर पुलिस तैनात कर दी गई। मीडिया और जस्टिस कमीशन को जाने दिया गया, तो हमें क्यों रोका गया?” सपा के राज्य अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने कहा कि टीम घटना की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सपा प्रमुख को सौंपने जा रही थी। टीम में विधान परिषद नेता लाल बिहारी यादव, सांसद जियाउर रहमान बरक, हरेंद्र मलिक और अन्य वरिष्ठ सदस्य शामिल थे।

सपा की सहायता और मुआवजे की मांग

सपा ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। पार्टी ने सरकार से मृतकों के परिवारों को ₹25 लाख का मुआवजा देने की मांग की।
“संभल में भाजपा सरकार और प्रशासन की नाकामी से अपनी जान गंवाने वालों के परिजनों को सपा 5-5 लाख रुपए की सहायता देगी। यूपी सरकार को 25-25 लाख रुपए का मुआवजा देना चाहिए,” सपा ने एक बयान में कहा।

जांच आयोग का गठन

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। इस आयोग का नेतृत्व इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा करेंगे। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी 2 दिसंबर को अपनी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल के संभल दौरे की घोषणा की है।

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