Parliamentary Election 2024 : जानें क्या है बसपा का नया समीकरण ‘DM’

बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) यानी बसपा की प्रमुख मायावती 2024 के लोकसभा चुनाव में अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं दे रही थीं कि वे इस चुनाव में सक्रिय रूप से भाग लेंगी। किन्तु अब वे भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 6-7 सीटों पर धुँआधार प्रचार करने के मूड में आ गई हैं। उनके भतीजे आकाश आनन्द ने तो मथुरा में ऊँचे सुर में एक नया राग छेड़ा हैः दलित और मुसलमान के समीकरण का। क्या बसपा अखिलेश को नुकसान पहुँचाने व भाजपा को लाभ दिलाने की दिशा में तो नहीं बढ़ चली हैं। इसकी पड़ताल करते हैं कि जिस बाबरी मस्जिद के नाम को लोग भूल चले थे, उसे फिर से क्यों गाया जा रहा है?

Written By : श्याम नारायण प्रधान | Updated on: May 2, 2024 8:41 pm

अब 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में सभी दलों ने ताल ठोकना शुरू कर दिया है। सभी दल अपने अपने घोषणा पत्रों के माध्यम से अपनी नीति और नीयत को सबके सामने रख रहे हैं। बसपा भी जो अब तक शांत बैठी थी, शंखनाद कर चली है। सब अटकल लगा रहे थे कि बहन जी प्रचार करने भी निकलेंगी कि नहीं। अब वे निकल पड़ी हैं।कार्यक्रम तय हो चुका है। मुस्लिम बहुल आबादी वाले जिलों में उन्हेंने अपनी सभाएं रखी हैं और मुसलमानों को अपनी ओर खींचने के लिए नए समीकरण को साधने चल पड़ी हैं।

मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी पर अटैक 

बीजेपी अपने राम मंदिर और सनातन धर्म को लेकर व विकास के अन्य मुद्दों को उठाए फिर रही है। कांग्रेस की हालत तो बयान करने के लायक नहीं है। अलबत्ता बसपा घोषणा-पत्र तो निकालती नहीं है। बसपा ने मुसलमान और दलित का अलग गठजोड़ बनाने के लिए आवाज दी है। आठ जिलों सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, ज्योतिबा फुले नगर, मेरठ और बरेली में मुसलमानों की आबादी 40 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है और इसी को अपनी ओर लाने के लिए मायावती ने पासा फेंका है। उन्होंने मुरादाबाद की एक रैली को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाजपा मुसलमानों पर अत्याचार कर रही है। उन्होंने भाजपा को जातिवादी भी कहा। यानी उनका यह कहना है कि मुसलमानों के लिए बसपा ही एकमात्र पार्टी है जो मुसलमानों को टिकट भी देती है और उनके पक्ष में खड़ी भी होती है।

भतीजे आकाश आनंद ने उछाला ‘बाबरी मस्जिद’ का नया सिक्का

बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद (Akash Anand) ने मथुरा की एक चुनावी रैली में कहा कि बीजेपी ने राम मंदिर बनाया, अच्छी बात है, लेकिन जब बाबरी मस्जिद बनेगी तो बसपा मुलसमानों के साथ खड़ी होगी। आकाश आनंद 9 अप्रैल को मथुरा में बसपा प्रत्याशी सुरेश सिंह के समर्थन में जनसभा को संबोधित कर रहे थे। यह तो एकदम नया राग है। जिस बाबरी को गए कई दशकों बीत गए और वहाँ पर भव्य राम मन्दिर बन गया है, उसके पुनर्निर्माण की बात कहाँ से आ गई। अयोध्या से 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद का नाम बाबरी तो है नहीं। फिर क्या कहना चाहते हैं आकाश आनन्द? उन्हें ऐसा क्यों लगने लगा है कि मुसलमानों के लिए अन्य सभी दल अछूते हो गए हैं और बसपा ही बची है जो उनके लिए, उनके साथ खड़ी है?

आखिर बसपा के साथ क्यों आएंगे मुसलमान

प्रश्न यह भी तो है कि मुसलमान बसपा के साथ क्यों आएंगे और सपा का साथ क्यों छोड़ेंगे?  क्या अतीक और अशरफ के मारे जाने का ठीकरा सपा के सिर फोड़ने की बात है और यह जताने की जुगत है कि जिनके साथ मुसलमान थे, वे किसी काम के नहीं हैं। एक मुसलमान नेता हाजी याकूब तो यहां तक कह बैठे हैं कि अखिलेश न तो मुख्यमंत्री योगी को उकसाते और न ही अतीक व उसका भाई मारे जाते। यानी अब खुले तौर पर पासा फेंका गया है कि बसपा के साथ मुसलमानों को आना चाहिए या यूँ कहें कि आना पड़ेगा क्योंकि सपा तो उनके लिए खलनायक की भूमिका में आ चुकी है। कांग्रेस में कुछ बचा नहीं है और भाजपा को तो हराना ही है। ओवैसी की दाल उत्तर प्रदेश में गलने वाली नहीं है। उनके उम्मीदवार उनके चुनाव चिह्न पर चुनाव तक नहीं लड़ेंगे। ऐसे में बसपा ही बचती है जो मुसलमानों की हमदर्द है और हमेशा उनके साथ खड़ी रहती है।

अपनी जमीन तलाशने की कोशिश

खैर, बसपा द्वारा उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन तलाशे जाने में हर्ज ही क्या है। अकेले तो वह अपने दम पर कुछ नहीं कर पाएगी। फिर मुसलमानों को ही आवाज देने में क्या बुराई है,ऐसा बसपा मान कर चल रही है। कोई बसपा को भाजपा की बी टीम कह रहा तो उनकी बला से। जाहिर है, यह वोट बैंक की राजनीति है। सब अपना जाल फेंकते हैं। मुसलमान बसपा के इस नए जाल में फंसेंगे कि नहीं, नतीजे बताएंगे किन्तु आकाश आनन्द का बयान जिस अंदाज में आया है वह सांप्रदायिक होने की हद तक जाता है। अब मुसलमान तय करें कि उन्हें किसकी सुननी है।-

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *