बिहार में 65 फीसद आरक्षण का फैसला रद्द.. नीतीश सरकार को बड़ा झटका

बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है. पटना हाईकोर्ट ने राज्य में 65 फीसदी आरक्षण लागू करने के फैसले को रद्द कर दिया है.

बिहार में 65 फीसदी आरक्षण रद्द
Written By : संतोष कुमार | Updated on: June 20, 2024 1:19 pm

बिहार में 65 फीसदी आरक्षण (Reservation) का फैसला रद्द

महागठबंधन की सरकार में बिहार में जातीय गणना (Cast Census) कराकर सुर्खियां बटोरने वाले नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को आरक्षण के मामले में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने बड़ा झटका दिया है. हाईकोर्ट ने 65 प्रतिशत आरक्षण (65% Reservation) देने के फैसले को रद्द कर दिया है. पटना हाईकोर्ट ने बिहार में सरकारी नौकरी (Government Job) और उच्च शैक्षणिक संस्थानों (Higher Education Institute) के दाखिले में जातीय आधारित आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने वाले कानून को रद्द कर दिया है. पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने आरक्षण बढ़ाने का फैसला रद्द कर दिया है. पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के फैसले से राज्य में आरक्षण की सीमा फिर से 50 फीसदी हो गई है. राज्य में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी थी, लेकिन बिहार की नीतीश सरकार ने आरक्षण को 65 फीसदी तक बढ़ा दिया था, जिसको हाईकोर्ट ने अब रद्द कर दिया है.

नीतीश सरकार को लगा बड़ा झटका

बता दें की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार ने जाति आधारित सर्वे कराकर और उसके रिपोर्ट के आधार पर EBC, SC,ST आरक्षण बढ़ाकर 65% कर दिया था. आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों (EWS) को मिलने वाले 10 प्रतिशत आरक्षण को मिलाकर बिहार में नौकरी और दाखिले का कोटा बढ़ाकर 75 प्रतिशत पर पहुंच गया था.

यूथ फॉर इक्वैलिटी ने दी थी चुनौती

बिहार में आरक्षण की सीमा 65 फीसदी करने के राज्य सरकार के फैसले को यूथ फॉर इक्वैलिटी (Youth For Equality) नाम के संगठन ने पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में  चुनौती दी थी. यूथ फॉर इक्वैलिटी की याचिका पर सुनवाई के बाद पटना हाईकोर्ट क चीफ जस्टिस की बेंच ने आरक्षण बढ़ाने वाले इस कानून को रद्द कर दिया. रिजर्वेशन के मामले में गौरव कुमार सहित कुछ और याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर की थी, जिस पर 11 मार्च को सुनवाई होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था, जिसे आज सुनाया गया. चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने गौरव कुमार और अन्य याचिकाओं पर लंबी सुनवाई की थी. जिसके बाद अब कोर्ट का फैसला सामने आया और कोर्ट ने 65 फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया है.

21 नवंबर को लागू हुआ था 65 फीसदी आरक्षण

महागठबंधन की सरकार में नीतीश कुमार ने बिहार के जाति आधारित सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर 7 नवंबर को कोटा बढ़ाने का बिल विधानसभा में पेश किया था. इस बिल के जरिए OBC आरक्षण 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत, EBC का कोटा 18 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी और SC का आरक्षण 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया था इसके साथ और ST का आरक्षण 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत कर दिया गया था. बिहार विधानसभा में यह बिल 9 नवंबर को पास हो गया. 21 नवंबर को राज्यपाल की मंजूरी के बाद इस विधेयक ने कानून का रूप ले लिया और यह पूरे राज्य में 65 फीसदी आरक्षण लागू हो गया. अब हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के इस फैसले को पलट दिया है. अब बिहार में आरक्षण की सीमा फिर से 50 फीसदी हो गई है.

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