पीएम मोदी ने किया चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलपुल का उद्घाटन, श्रीनगर देश के रेल नेटवर्क से जुड़ा

भारत के लिए शुक्रवार 6 जून 2025 का दिन ऐतिहासिक रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्क ब्रिज के उद्घाटन  के साथ ही कश्मीर घाटी भारत के विशाल रेल नेटवर्क से जुड़ गई। जम्मू- कश्मीर के रियासी जिले चिनाब नदी पर बना यह पुल भारतीय रेल के लिए इंजीनियरिंग के एक चमत्कार से कम नहीं है। यही वजह है कि उद्घाटन के बाद इस पर पैदल चलते हुए प्रधानमंत्री हाथों में तिरंगा लहराते रहे। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ ट्रेन से उद्घाटन स्थल पहुंचे। वहां जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद थे।

Written By : रामनाथ राजेश | Updated on: June 6, 2025 10:58 pm

चिनाब नदी पर बने ब्रिज का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभा का शुभारंभ माता वैष्णो देवी के जयकारे के साथ किया। इसके साथ ही पाकिस्तान और पाकिस्तान के आतंकियों को सख्त संदेश दिया।उन्होंने कहा कि दुश्मन कितना भी चाहे जम्मू-कश्मीर के विकास की रफ्तार रुकने वाली नहीं है। मोदी ने अपने भाषण में कहा- ‘ आज 6 जून है… संयोग से ठीक एक महीने पहले, आज की ही रात पाकिस्तान के आतंकियों पर कयामत बरसी थी. अब पाकिस्तान कभी भी ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुनेगा तो उसे अपनी शर्मनाक शिकस्त याद आएगी. पाकिस्तानी फौज और आतंकियों ने कभी नहीं सोचा था कि भारत, पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों पर इस तरह वार करेगा. वर्षों की मेहनत से उन्होंने आतंक की जो इमारतें बनाई थीं, वो कुछ ही मिनटों में खंडहर बन गईं।

इस रेल पुल के उद्घाटन के अवसर पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमद अब्दुल्ला ने कहा कि जो काम अंग्रेज अपने शासन काल में नहीं कर सके, स्वतंत्रता के बाद अब तक नहीं हो सका था वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों हुआ।

कश्मीर घाटी में चिनाब नदी पर बना ये पुल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय  है, क्योंकि इससे भारत की सामरिक शक्ति अचानक बहुत बढ़ गई। पाकिस्तान और चीन से लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती में अब खराब मौसम आड़े नहीं आएगा। रेल मार्ग किसी भी मौसम में बाधित नहीं होगा। इस पुल का निर्माण कराने वाली कोंकण रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, करीब1,486 करोड़ रुपये की लागत से बना यह पुल नदी के तल से 339 मीटर ऊंचा है जो एफिल टावर से भी लगभग 35 मीटर ज्यादा है। इस पुल की कुल लम्बाई 1.315 किलोमीटर है जिसमें 467 मीटर लंबा मुख्य आर्क स्पैन शामिल है। इस पुल को बनाने में  28,660 मीट्रिक टन स्टील, 66,000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट और 10 लाख क्यूबिक मीटर जमीन का उपयोग किया गया। इस पुल की विशेषता है कि ये बड़े भूकंप को भी झेल सकता है और विस्फोट का भी इस पर असर नहीं पड़ेगा।  भारत में पहली बार इस तकनीक का उपयोग  किया गया है।

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