Samosa विवाद की शुरुआत
हिमाचल प्रदेश में समोसा को लेकर एक विवाद ने तूल पकड़ा है, जिसने कांग्रेस और बीजेपी के बीच राजनीतिक संघर्ष को बढ़ा दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए भेजे गए समोसे (Samosa) और केक गलती से उनकी सुरक्षा टीम को दे दिए गए। इस घटना के बाद कांग्रेस सरकार ने इसकी जांच के आदेश दिए, जिसे अब राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया है।
बीजेपी का विरोध और Samosa भेजने की कार्रवाई
बीजेपी के नेता इस मामले को लेकर कांग्रेस सरकार की आलोचना कर रहे हैं। बीजेपी विधायक आशीष शर्मा ने मुख्यमंत्री के निवास पर 11 समोसों की प्लेट भेजी और सोशल मीडिया पर इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को समोसे जैसी मामूली घटनाओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए, जबकि राज्य में बेरोज़गारी, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय संकट जैसे बड़े मुद्दे अनसुलझे पड़े हैं। शर्मा ने कहा, “जब लोग अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो सरकार को गंभीर मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, न कि इन छोटे-छोटे मामलों पर समय बर्बाद करना चाहिए।”
शिमला में बीजेपी का विरोध प्रदर्शन
बीजेपी के युवा संगठन ने शिमला में विरोध प्रदर्शन आयोजित किया, जिसमें उन्होंने समोसों का वितरण किया और कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के लिए Samosa पर विवाद पैदा करना सरकार की नाकामी को छुपाने की कोशिश है। राज्य में समोसा विवाद को लेकर बढ़ती राजनीतिक बयानबाजी ने इसे और भी तूल दे दिया है।
कांग्रेस का पलटवार
वहीं, कांग्रेस ने बीजेपी के इस आरोप को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि बीजेपी इस मामले को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रही है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि यह जांच “अधिकारियों के व्यवहार” को लेकर थी, न कि Samosa पर ध्यान केंद्रित करने के लिए। उनका कहना था कि यह एक अंदरूनी मामला था और मीडिया ने इसे बेवजह तूल दिया।
CID की जांच और अधिकारियों का बयान
CID ने इस घटना की जांच शुरू की है, जिसमें अधिकारी यह पता लगा रहे हैं कि समोसा किसे दिया गया और यह घटना किस प्रकार घटित हुई। CID के डीजी संजीव रंजन ओझा ने कहा कि यह पूरी तरह से एक अंदरूनी मामला है और इसे राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। ओझा ने स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी को नोटिस नहीं जारी किया गया है और यह सरकार का मामला नहीं है, बल्कि एक आंतरिक जांच है।
राजनीतिक बयानबाजी और विवाद
बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वह असली मुद्दों से ध्यान भटका रही है और “समोसा राजनीति” को महत्व दे रही है। बीजेपी मीडिया प्रभारी करण नंदा ने हिमाचल प्रदेश को “देवभूमि” के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब यह विवादों में घिर चुका है, जैसे कि शौचालय कर और समोसा जांच। कांग्रेस ने इसे बीजेपी की साजिश करार दिया और आरोप लगाया कि यह मुख्यमंत्री की छवि खराब करने की कोशिश है।
हिमाचल प्रदेश में समोसा विवाद अब सिर्फ एक छोटी सी घटना नहीं बल्कि राजनीतिक अखाड़े में बदल चुका है। दोनों दलों के बीच यह विवाद राज्य के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के रूप में देखा जा रहा है। यह मामला आगे भी राजनीतिक बयानबाजी का केंद्र बने रहने की संभावना है, जबकि राज्य की जनता गंभीर समस्याओं का समाधान चाहती है।
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