जन्मकुंडली में प्रथम भाव (लग्न) में ग्रह और राशियों के होने का मिलता है ऐसा फल

जन्म कुंडली में प्रथम भाव (लग्न) व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व, शारीरिक संरचना, और जीवन की मूल प्रकृति को दर्शाता है। इस भाव में स्थित ग्रहों तथा राशियों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा पड़ता है।

Written By : नीतेश तिवारी | Updated on: March 30, 2025 12:49 am

आइए देखें कि विभिन्न ग्रह तथा राशियों का प्रथम भाव (लग्न ) में शुभ या अशुभ फल कैसे देते हैं:

1. सूर्य

शुभ फल: आत्मविश्वासी, नेतृत्व क्षमता, प्रभावशाली व्यक्तित्व, समाज में प्रतिष्ठा।

अशुभ फल: अहंकारी, गुस्सैल, पिता से मतभेद, स्वास्थ संबंधी समस्याएँ (विशेषकर हड्डियों व हृदय से जुड़ी)।

2. चंद्रमा

शुभ फल: भावुक, दयालु, कल्पनाशील, आकर्षक व्यक्तित्व, अच्छा पारिवारिक जीवन।

अशुभ फल: मानसिक अस्थिरता, आत्म-संदेह, बार-बार मन बदलना, माता से समस्याएँ।

3. मंगल

शुभ फल: साहसी, ऊर्जावान, दृढ़निश्चयी, नेतृत्व गुण, साहसिक कार्यों में सफलता।

अशुभ फल: क्रोधी, आक्रामक, झगड़ालू स्वभाव, चोट व दुर्घटना की संभावना, विवाह में समस्याएँ (विशेष रूप से यदि मांगलिक दोष हो)।

4. बुध

शुभ फल: बुद्धिमान, चतुर, तार्किक, अच्छा वक्ता, व्यापार व लेखन में सफलता।

अशुभ फल: वाणी में कटुता, निर्णय लेने में भ्रम, धूर्तता, अस्थिर विचार।

5. गुरु (बृहस्पति)

शुभ फल: धार्मिक, विद्वान, नैतिकता से भरपूर, शिक्षा व ज्ञान में श्रेष्ठ, समाज में सम्मान।

अशुभ फल: आलसी, अधिक विश्वास करने की प्रवृत्ति, मोटापा, अनावश्यक दिखावा।

6. शुक्र

शुभ फल: आकर्षक व्यक्तित्व, कला प्रेमी, प्रेमपूर्ण स्वभाव, वैवाहिक सुख, धन संपत्ति में वृद्धि।

अशुभ फल: भोग-विलास की अधिकता, अनैतिक संबंध, दिखावे पर अधिक खर्च, स्वास्थ्य समस्याएँ (विशेषकर गुप्त रोग)।

7. शनि

शुभ फल: अनुशासनप्रिय, गंभीर, न्यायप्रिय, मेहनती, स्थिर जीवन।

अशुभ फल: आलस्य, विलंब से सफलता, अवसाद, जीवन में संघर्ष, अकेलापन।

8. राहु

शुभ फल: राजनीति में सफलता, अनोखी सोच, विपरीत परिस्थितियों में भी लाभ।

अशुभ फल: भ्रम, अनैतिक गतिविधियाँ, अचानक नुकसान, मानसिक अशांति।

9. केतु

शुभ फल: आध्यात्मिक प्रवृत्ति, रहस्यमय ज्ञान, मोक्ष की ओर झुकाव।

अशुभ फल: आत्मविश्वास की कमी, अप्रत्याशित घटनाएँ, एकांतप्रियता

 

1. मेष लग्न (मंगल ग्रह स्वामी)

शुभ फल :

साहसी, आत्मविश्वासी, नेतृत्व क्षमता, ऊर्जावान।

निडर, महत्वाकांक्षी, खेल-कूद व सैन्य क्षेत्र में सफलता।

स्वतंत्र विचारधारा और निर्णय लेने की क्षमता।

अशुभ फल :

जल्दबाज, गुस्सैल, आक्रामक स्वभाव।

दुर्घटनाओं की संभावना, शारीरिक चोटें।

दूसरों की बात न मानने की प्रवृत्ति।

 

2. वृषभ लग्न (शुक्र ग्रह स्वामी)

शुभ फल:

आकर्षक व्यक्तित्व, सौंदर्यप्रेमी, कला व संगीत में रुचि।

भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि, धन संचय करने की क्षमता।

धैर्यवान, शांत और वफादार।

अशुभ फल:

जिद्दी स्वभाव, अहंकारी प्रवृत्ति।

भोग-विलास में अधिक रुचि, आलस्य।

आर्थिक मामलों में अस्थिरता (यदि शुक्र कमजोर हो)।

 

3. मिथुन लग्न (बुध ग्रह स्वामी)

शुभ फल :

तीव्र बुद्धि, चतुर, वाणी में प्रभावशाली।

व्यवसायिक समझ अच्छी, लेखन, पत्रकारिता और व्यापार में सफलता।

हर परिस्थिति में खुद को ढालने की क्षमता।

अशुभ फल :

चंचलता, अस्थिर मन, विचारों में उतार-चढ़ाव।

अधिक बोलने की आदत, गपशप करना।

कभी-कभी कपटी स्वभाव, चालाकी अधिक।

 

4. कर्क लग्न (चंद्रमा ग्रह स्वामी)

शुभ फल:

भावुक, दयालु, कल्पनाशील और पारिवारिक प्रेमी।

अच्छा स्मरण शक्ति, दूसरों के दुख-दर्द को समझने वाला।

माता से विशेष प्रेम, जल से जुड़े कार्यों में सफलता।

अशुभ फल :

मानसिक अस्थिरता, जल्दी दुखी हो जाना।

जरूरत से ज्यादा संवेदनशील और दूसरों पर निर्भरता।

निर्णय लेने में कठिनाई, मूड स्विंग की समस्या।

 

5. सिंह लग्न (सूर्य ग्रह स्वामी)

शुभ फल:

आत्मविश्वासी, प्रभावशाली, राजसी स्वभाव।

नेतृत्व क्षमता, साहसी और निर्णय लेने में तेज।

समाज में प्रतिष्ठा, उच्च पद प्राप्त करने की क्षमता।

अशुभ फल:

अहंकारी, घमंडी और जिद्दी स्वभाव।

पिता से मतभेद, अधिक क्रोधी।

गलत संगति से हानि की संभावना।

 

6. कन्या लग्न (बुध ग्रह स्वामी)

शुभ फल :

बुद्धिमान, व्यवस्थित, मेहनती और अनुशासनप्रिय।

तार्किक क्षमता मजबूत, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक।

विश्लेषण करने की क्षमता, चिकित्सा और लेखन कार्यों में सफलता।

अशुभ फल :

ज्यादा सोचने की आदत, हर चीज में खामियां निकालना।

अत्यधिक आलोचनात्मक रवैया, घबराहट और चिंता की प्रवृत्ति।

अधिक परिश्रम करने के बावजूद परिणाम देर से मिलना।

 

7. तुला लग्न (शुक्र ग्रह स्वामी)

शुभ फल:

सुंदर व्यक्तित्व, आकर्षक वाणी, कूटनीतिक स्वभाव।

न्यायप्रिय, संतुलित दृष्टिकोण, सामाजिक संबंध अच्छे।

व्यापार, कला और फैशन इंडस्ट्री में सफलता।

अशुभ फल :

दिखावे में अधिक रुचि, निर्णय लेने में देरी।

भोग-विलास में अधिक लिप्त, विवाह में अस्थिरता।

कभी-कभी स्वार्थी प्रवृत्ति, झूठ बोलने की आदत।

 

8. वृश्चिक लग्न (मंगल ग्रह स्वामी)

शुभ फल :

रहस्यमयी, दृढ़ इच्छाशक्ति, आत्मनिर्भर।

साहसी, दृढ़ निश्चयी, शोध और अनुसंधान में रुचि।

आध्यात्मिकता की ओर झुकाव, संघर्ष के बाद सफलता।

अशुभ फल :

गुस्सैल, प्रतिशोध लेने की प्रवृत्ति।

रिश्तों में कटुता, विवाह में समस्याएँ।

स्वास्थ्य समस्याएँ, शत्रुओं से परेशानियाँ।

 

9. धनु लग्न (गुरु ग्रह स्वामी)

शुभ फल:

धार्मिक, नैतिक, ज्ञानी और शिक्षा में रुचि।

खुले विचारों वाला, यात्राओं में रुचि।

दयालु, सत्यनिष्ठ और न्यायप्रिय।

अशुभ फल:

अति आशावादी, यथार्थ से दूर रहने की प्रवृत्ति।

व्यर्थ की बहस और अपनी बात मनवाने की जिद।

कभी-कभी आलसी और असंगठित जीवनशैली।

 

10. मकर लग्न (शनि ग्रह स्वामी)

शुभ फल:

अनुशासनप्रिय, मेहनती, गंभीर और धैर्यवान।

व्यापार व करियर में सफलता, योजनाबद्ध कार्यशैली।

जिम्मेदार, व्यावहारिक और दृढ़ निश्चयी।

अशुभ फल:

स्वार्थी, भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई।

जीवन में संघर्ष अधिक, सफलता देर से मिलना।

निराशावादी सोच, अकेलापन पसंद करना।

 

11. कुंभ लग्न (शनि ग्रह स्वामी)

शुभ फल:

कल्पनाशील, विचारशील, नवीन विचारों से युक्त।

समाजसेवा, विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में रुचि।

मित्रवत स्वभाव, टीम वर्क में माहिर।

अशुभ फल:

जिद्दी, अलग-अलग विचारधाराओं से प्रभावित।

रिश्तों में उदासीनता, व्यर्थ के विवादों में उलझना।

असामान्य जीवनशैली, कभी-कभी अजीब व्यवहार।

(नीतेश तिवारी, एमसीए, एमएचए हैं और ज्योतिष शास्त्र के अच्छे जानकार हैं.)

ये भी पढ़ें :-जन्मकुंडली में मंगल ग्रह और उसकी सामान्य विवेचना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *