राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने बिहार की सियासत में गर्मी बढ़ा दी है। तेजस्वी यादव के सीएम फेस ऐलान और अखिलेश यादव के समर्थन ने महागठबंधन की तस्वीर साफ कर दी है, वहीं भाजपा के विरोध और FIR विवादों ने इस यात्रा को और अधिक राजनीतिक रंग दे दिया है। अब सभी की निगाहें 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों पर टिकी हैं।
तेजस्वी यादव बने सीएम फेस
आरा में हुई सभा के दौरान आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने खुद को विपक्षी महागठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी उनके इस दावे का समर्थन किया। इसे महागठबंधन की एकजुटता और चुनावी रणनीति के बड़े संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
अखिलेश यादव का हमला
अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह अब ‘जुगाड़ आयोग’ बन गया है और भाजपा के दबाव में काम कर रहा है। उन्होंने वोटर अधिकार यात्रा को लोकतंत्र बचाने का अभियान बताया।
बीजेपी का विरोध और राहुल का टॉफी एपिसोड
यात्रा के दौरान भाजपा युवा मोर्चा (BJYM) कार्यकर्ताओं ने काले झंडे दिखाकर विरोध किया। खास बात यह रही कि राहुल गांधी ने गाड़ी रुकवाकर एक प्रदर्शनकारी को पास बुलाया और उसे टॉफी देकर माहौल हल्का कर दिया। यह घटना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी।
विवाद और FIR
यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कथित अपशब्दों को लेकर विवाद खड़ा हो गया। भाजपा ने इसे लोकतंत्र का अपमान बताते हुए जगह-जगह विरोध किया और कई जिलों में एफआईआर दर्ज कराई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस यात्रा को ‘घुसपैठिया बचाओ यात्रा’ बताते हुए कांग्रेस नेताओं पर प्रधानमंत्री को लगातार अपमानित करने का आरोप लगाया।
कांग्रेस का दावा
कांग्रेस का कहना है कि यात्रा का मकसद सिर्फ चुनावी धांधली और वोटर लिस्ट से गायब नामों पर ध्यान दिलाना था। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी ‘वोट चोरी’ कर चुकी है, जिसके सबूत वे जनता के सामने लाएंगे। इस बीच चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार में 99.11% मतदाताओं ने दस्तावेज जमा किए हैं, जिससे वोटर लिस्ट अपडेट करने की प्रक्रिया (SIR) सफल रही है। आयोग ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया।
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