मिरिक, कालिम्पोंग, सुकियापोखरी और सोनाडा जैसे इलाकों में भूस्खलन और सड़कों के धंसने से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। दार्जिलिंग प्रशासन ने स्थिति को गंभीर मानते हुए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमों को राहत कार्यों में लगा दिया है।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, कई इलाकों में ब्रिज और सड़कों के टूट जाने से रेस्क्यू टीमों को राहत सामग्री पहुँचाने में कठिनाई हो रही है। दो आयरन ब्रिज बह जाने की खबर है, जिससे कई गांवों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों तक तेज बारिश की संभावना जताई है, जिससे हालात और बिगड़ने की आशंका है।
<pभारतीय मौसम विभाग (IMD) ने उत्तर बंगाल के पहाड़ी जिलों में ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है और पर्यटकों को फिलहाल डार्जिलिंग, मिरिक और कालिम्पोंग की यात्रा टालने की सलाह दी है।
भारतीय रेल ने कई ट्रेनों का रूट बदला है जबकि सड़कों के अवरुद्ध होने के कारण बस सेवाएँ भी प्रभावित हैं। बिजली और मोबाइल नेटवर्क भी कई हिस्सों में ठप हैं।
दार्जिलिंग में इस तरह की भूस्खलन घटनाएँ नई नहीं हैं, लेकिन इस बार बारिश की तीव्रता और नुकसान का दायरा कहीं अधिक बड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अंधाधुंध निर्माण ने पहाड़ी इलाकों की प्राकृतिक सुरक्षा-ढाल कमजोर कर दी है। फिलहाल बचाव दलों के लिए चुनौती यह है कि लगातार बारिश के बीच फंसे हुए लोगों तक जल्द से जल्द पहुंचा जाए।
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