Reincarnation of Dalai Lama : चीन चाहता है अपने मन का अगला दलाईलामा

चीन ( China) के लाख विरोध के बाद भी सात सदस्‍यीय अमेरिकी संसदीय समूह ने धर्मशाला ( Dharmshala) के मैक्‍लॉडगंज में दलाई लामा ( Dalai Lama) से मुलाकात की। समूह ने उन्‍हें अमेरिकी संसद में पारित ‘ रिजाल्‍व तिब्‍बत एक्‍ट’( Resolve Tibet Act) की मढ़ी हुई प्रति भी सौंपी। इस एक्‍ट में तिब्‍बत में किसी तरह के दमन का विरोध और तिब्‍बतियों को अपने भाग्‍य का फैसला खुद करने का अधिकार दिया गया है। इस एक्‍ट पर अब राष्‍ट्रपति बाइडेन( President Biden) के हस्‍ताक्षर होने हैं।

तिब्बत के सर्वोच्च धर्म गुरु दलाई लामा
Written By : रामधनी द्विवेदी | Updated on: June 20, 2024 12:40 pm

भारत में भी जन्‍म हो सकता है दलाई लामा का

चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है और  कहता है कि वह धार्मिक नहीं राजनीतिक व्‍यक्ति हैं। अमेरिका का मानना है कि दलाई लामा और तिब्‍बतियों को अपने बारे में निर्णय का अधिकार मिलना चाहिए। सबसे बड़ी समस्‍या यह है कि दलाई लामा अपने पुनर्जन्‍म ( Reincarnation)  के बारे में घोषणा करने वाले हैं। वह कहते हैं कि उनका पुनर्जन्‍म कहीं भी हो सकता है और उनके बाद 15 वें दलाई लामा भारत ( India) में भी जन्‍म ले सकते हैं। चीन दलाई लामा (Dalai Lama)  के पुनर्जन्‍म को अपने  अनुसार निर्णित करना चाहता है और कहता है कि वह इसकी मान्‍यता देगा कि कौन नया दलाई लामा है।

लक्षण के आधार पर पहचान होती है बालक दलाई लामा की

तिब्‍बत में मान्‍यता है कि दलाई लामा जब अपना शरीर त्‍यागते हैं तो नये शरीर में पैदा होते हैं। वह शरीर छोड़ने के पहले कुछ लाक्षणिक संकेत देते हैं जिसके आधार पर वरिष्‍ठ लामा उनके नये जन्‍म का पता लगाते हैं। जब कई तरीके से यह सुनिश्चित हो जाता है कि वह कहां जन्‍मे हैं तो उस बच्‍चे का दलाई लामा के रूप में लालन- पालन और शिक्षण- प्रशिक्षण होता है। बाद में उन्‍हें दलाई लामा पद पर स्‍थापित किया जाता है। दलाई लामा का पद धार्मिक और राजनीतिक दोनों होता है। तिब्‍बत के लोग उन्‍हें भगवान बुद्ध का अवतार मानते हैं।

1642 से चल रही है  परंपरा

तिब्‍बत में दलाई लामा की परंपरा 1642 से चली आ रही है। इस क्रम में वर्तमान दलाई लामा 14 वें हैं। उनका जन्‍म 6 जुलाई 1935 को तिब्‍बत के आमदो प्रांत के छोटे से गांव तक्‍तसर में एक किसान परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम ल्‍हामो थोंदुप था। उनके दो बहनें और चार भाई थे। उनके दो भाई भी वरिष्‍ठ लामा हैं जिन्‍हें रिम्‍पोछे कहा जाता है। बाद में उनको 14 वें दलाई लामा के रूप में पदस्‍थापित किया गया। तिब्‍बत पर 1950 में चीन के हमले और लामा प्रणाली के तहस-नहस होने के बाद 1959 में वह अपने समर्थकों के साथ भारत चले आए और तब से वे लोग हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में मैक्‍लॉडगंज में रह रहे हैं। 1989 में उन्‍हें नोबेल शांति सम्‍मान मिला।

तिब्‍बती चाहेंगे तो जारी रहेगी परंपरा

एक बार 2004 में उन्‍होंने ‘टाइम्‍स’ के साथ इंटरव्‍यू में कहा था कि दलाई लामा का पद और प्रथा का जारी रहना उनके समर्थकों पर निर्भर करता है। यदि वह चाहेंगे तो यह जारी रहेगी अन्‍यथा नहीं। अपने समर्थकों के आग्रह पर उन्‍होंने इसे जारी रहने का निर्णय किया। उनका कहना है कि उनका जन्‍म किसी भी तिब्‍बतन परिवार में हो सकता है। वह भारत में भी जन्‍म ले सकते हैं। एक बार एक पत्रकार ने उनसे पूछा था कि  क्‍या आप पुनर्जन्‍म में विश्‍वास करते हैं तो परम पावन दलाई लामा ने कहा कि उनका अस्तित्‍व ही पुनर्जन्‍म से है। यदि मैं नहीं मानूंगा तो दलाई लामा नहीं रहूंगा।

बेचैन है ड्रैगन

जब से दलाई लामा ने अपने पुनर्जन्‍म की बात कही है, चीन बेचैन हो गया है। दलाई लामा ने कहा है कि जब वह 90 साल के हो जाएंगे तो वरिष्‍ठ लामाओं से विचार कर अपने पुनर्जन्‍म के बारे में लिखित संकेत देंगे जिसके आधार पर नये दलाई लामा का चयन किया जाए। किसी को भी यहां तक चीन को भी इसका राजनीतिक लाभ लेने का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए।

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