पश्चिम बंगाल में ही होगी आरजी कर रेप-मर्डर केस की सुनवाई : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर के रेप-मर्डर मामले का ट्रायल पश्चिम बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने की याचिका खारिज कर दी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान राज्य की न्यायपालिका और पुलिस पर की गई टिप्पणी को खारिज करते हुए ट्रायल को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।

पश्चिम बंगाल में ही चलेगा आरजी कर रेप-मर्डर केस
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: November 7, 2024 7:35 pm

सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर 2024 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर के रेप और मर्डर मामले (RG Kar case) के ट्रायल को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले की सुनवाई Chief Justice of India (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच कर रही थी, जिसमें जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

राज्य से ट्रायल ट्रांसफर करने का अनुरोध
सुनवाई के दौरान, एक वकील ने तर्क दिया कि राज्य में मौजूद “अशांत परिस्थितियों” के कारण ट्रायल को अन्य राज्य में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। इसके जवाब में CJI चंद्रचूड़ ने कहा, “हमने मणिपुर जैसे मामलों में ऐसा किया है, लेकिन इस मामले में ऐसा कोई आदेश नहीं दिया जाएगा।”

कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
जब एक अन्य वकील ने कहा कि “पश्चिम बंगाल के लोग राज्य की न्यायपालिका और पुलिस से विश्वास खो चुके हैं,” तो CJI ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और कहा, “आप किसकी ओर से पेश हो रहे हैं? ऐसी सामान्य टिप्पणियाँ कोर्ट में नहीं की जानी चाहिए। यह कैंटीन गॉसिप जैसी बातें हैं।”

सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट
RG Kar Case में सीबीआई ने अपनी ताजा स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें बताया गया कि 4 नवंबर 2024 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, सियालदह ने आरोपी संजय रॉय के खिलाफ आरोप तय किए हैं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को निर्धारित की है, जिसमें अभियोजन पक्ष के साक्ष्य पेश किए जाएंगे।

चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय कार्य बल की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से गठित राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) की रिपोर्ट भी प्राप्त की। कोर्ट ने आदेश दिया कि एनटीएफ की रिपोर्ट की एक प्रति सभी संबंधित पक्षों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजी जाए, ताकि वे अपनी सिफारिशें दे सकें।

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