सरकार नहीं, नदियों के लिए हमें स्वयं करना होगा…पांचवें नदी उत्सव का आगाज

नदियों को बचाने और पर्यावरण के संरक्षण को लेकर दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में तीन दिवसीय नदी उत्सव का रंगारंग आगाज हुआ है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में नदी और पर्यावरण से जुड़े लोगों ने शिरकत की और नदियों को बचाने को लेकर अपने अपने विचार व्यक्त किए.

Written By : संतोष कुमार | Updated on: September 20, 2024 12:56 pm

River festival

नई दिल्ली में पांचवें नदी उत्सव का आगाज

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा नई दिल्ली में पांचवें नदी उत्सव की औपचारिक शुरुआत 19 सितंबर को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, पर्यावरण कार्यकर्ता हर्षिल की पूर्व प्रधान श्रीमती बसंती नेगी, ढोलकिया फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री सावजी ढोलकिया और इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी के दीप प्रज्वलन के साथ हो गई. पांचवें नदी उत्सव की थीम- ‘रिवर्स इन रिवरः मेकिंग ऑफ ए लाइफलाइन’ है.

नदियों की स्थिति पर गंभीर चर्चा

River festival के उद्घाटन सत्र में नदियों की स्थिति से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई. कार्यक्रम के दौरान नदी उत्सव के लोगों को जारी किया गया और चौथे नदी उत्सव में प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों के संकलन वाली पुस्तिका ‘थैंकिंग ऑफ द रिवर’ का भी लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम की एक विशेषता यह भी रही कि अतिथियों और कलाकारों को जो स्मृति चिह्न (मेमेंटो) दिए गए, वे मानव निर्मित न होकर, ड्रिफ्ट वुड हैं यानी नदियों में बहने वाली वो लकड़ियां, जो पानी के प्रवाह से कट कर एक सुंदर आकार ग्रहण कर लेती हैं.

नदियों के लिए हमें मुखर होना होगा : चिदानंद सरस्वती

उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि स्वामी चिदानंद सरस्वती ने वर्तमान में नदियों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमारे समाज में सबसे बड़ा संकट सोच का है. पानी का संकट हम सबका संकट है और समाधान भी हम सबको करना है. उन्होंने कहा कि AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) स्पीड दे सकता है, लेकिन दिशा कौन देगा? दिशा RI यानी ऋषियों का इंटेलिजेंस देगा. उन्होंने कहा कि हमें AI से RI की ओर आना होगा. भारत को भारत की दृष्टि से देखना होगा. भारत की प्रोफाइल विश्व में बदल रही है, अब हमें अपनी प्रोफाइल बदलनी होगी. उन्होंने कहा कि यमुना भी सरस्वती की तरह लुप्त न हो जाए और इसके बारे में हमें सिर्फ किताबों में न पढ़ना पड़े, इसके लिए हमें जागरूक होना होगा.चिदानंद सरस्वती ने कहा कि नदी मौन हो गई है, अब नदी के लिए हमें मुखर होना पड़ेगा.

नदियों को बचा लें, तो भारत विश्वगुरु बन जाएगा: सावजी ढोलकिया

River festival में सावजी ढोलकिया ने कहा कि नदी का जो स्वरूप था, पढ़े-लिखे होने के बावजूद, हमने उसको बिगाड़ कर रख दिया। हमने प्रकृति को नष्ट किया, तो प्रकृति हमें दंड दे रही है। उन्होंने बताया कि बेहद कम खर्च में उन्होंने 35 किलोमीटर लंबी एक नदी को पुनर्जीवित किया, जो नष्ट हो गई थी। इसके अलावा, उन्होंने 10 से 100 एकड़ के लगभग 150 सरोवरों का निर्माण कराया। उन्होंने कहा, जो खुशी नदी का काम करके मिली, वह और किसी काम में नहीं मिली। अगर हम अपनी नदियों को बचा लें, तो नदियों की बदौलत भारत विश्वगुरु बन जाएगा।

सरकार सबकुछ नहीं कर सकती: बसंती देवी

नदी उत्सव (River festival) को संबोधित करते हुए बसंती देवी ने कहा सरकार सब कुछ नहीं कर सकती, हमें स्वयं करना पड़ेगा. नदियों में कूड़ा और मल मत डालो. अपने घर को ज़रूर साफ रखो, लेकिन मां (नदी) को गंदा मत करो.

प्रकृति से हमारा नाता टूट गया है: सच्चिदानंद जोशी

स्वागत भाषण में डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि जैसे-जैसे विकास की गति बढ़ी, जैसे-जैसे हम प्रकृति का दोहन करने लगे, प्रकृति से हमारा नाता टूट गया। प्रकृति से हमारा नाता उपभोक्ता का हो गया है। इसलिए हम उससे प्रेम नहीं करते, सेवा नहीं करते, उसका भोग करने लगते हैं, उसका शोषण करने लगते हैं। उन्होंने कहा कि नदी उत्सव एक इवेंट नहीं है। इवेंट से भाव उत्पन्न नहीं होता, उत्साह उत्पन्न नहीं होता, श्रद्धा उत्पन्न नहीं होती, आस्था उत्पन्न नहीं होती. नदी उत्सव का उद्देश्य भाव उत्पन्न करना, उत्साह उत्पन्न करना, श्रद्धा उत्पन्न करना और आस्था उत्पन्न करना है। सत्र के अंत में, जनपद सम्पदा प्रभाग के अध्यक्ष प्रो. के. अनिल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

नदी उत्सव में फोटो प्रदर्शनी भी लगाई गई

तीन दिवसीय नदी उत्सव (River festival) के पहले दिन कंसाबती नदी पर आधारित श्री प्रकाश के फोटो की प्रदर्शनी, स्वरूप भट्टाचार्य की नावों पर आधारित अनूठी प्रदर्शनी, स्कूलों छात्रों द्वारा नदियों पर बनाई गई पेंटिंग प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया. फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत अभय मिश्रा द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘यमुनाः द रिवर्स ऑफ गॉड्स एंड ह्यूमंस’ की स्क्रीनिंग से हुई. इसके अलावा, मटका पेंटिंग वर्कशॉप और बच्चों के लिए ‘नदी और मैं’ कार्याशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अंतिम चरण में गुरु श्रीमती कस्तुरी पटनायक और उनकी टीम ने ओडिसी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

ये भी पढ़ें:-INGCA कर रहा 5 वें नदी उत्सव का शुभारंभ, आयोजित होंगे कई कार्यक्रम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *