जन्मकुंडली का सातवें भाव से वैदिक ज्योतिष में जानते हैं वैवाहिक जीवन के बारे में

जन्मकुंडली का सातवां भाव (House 7) वैदिक ज्योतिष में एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे "कालत्र भाव" या "विवाह भाव" भी कहा जाता है।

Written By : नीतेश तिवारी | Updated on: May 11, 2025 11:19 pm

सातवें भाव का मुख्य अर्थ:

1. विवाह और जीवनसाथी: यह भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी की प्रकृति, संबंधों में सामंजस्य या टकराव आदि को दर्शाता है।

2. साझेदारी और अनुबंध: यह व्यापारिक साझेदारियों, कानूनी समझौतों और दीर्घकालिक संबंधों को भी दर्शाता है।

3. यौन संबंध: यह भाव यौन जीवन और आकर्षण से भी संबंधित होता है।

4. विदेश यात्रा: कुछ संदर्भों में यह विदेश जाने या विदेश में विवाह से भी जुड़ा होता है।

5. प्रतिद्वंद्वी/शत्रु: यह आपके खुले शत्रुओं और प्रतिस्पर्धियों को भी दर्शाता है, क्योंकि यह लग्न (प्रथम भाव) का ठीक सामना करता है।

सातवें भाव में ग्रहों का प्रभाव (संक्षेप में):

शुक्र: अच्छा वैवाहिक जीवन, आकर्षक जीवनसाथी।

मंगल: वैवाहिक संघर्ष या “मांगलिक दोष” का कारण बन सकता है।

शनि: देरी से विवाह, परंतु स्थिरता भी दे सकता है।

राहु/केतु: भ्रम, अनिश्चितता या विदेशी जीवनसाथी।

बुद्ध/गुरु: संवाद व समझदारी।

यहां हम जानते हैं किसी विशेष ग्रह या राशि के सातवें भाव में होने का अर्थ

जन्मकुंडली के सप्तम भाव (7th House) में विभिन्न ग्रहों और राशियों के प्रभाव को समझना वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी का स्वभाव, संबंधों की स्थिरता और साझेदारी के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण होता है। नीचे सप्तम भाव में प्रत्येक ग्रह और राशि के शुभ और अशुभ प्रभावों का विस्तृत विवरण दिया गया है:

1. सूर्य (Surya)

शुभ प्रभाव:

जीवनसाथी प्रतिष्ठित, आत्मविश्वासी या सरकारी नौकरी वाला हो सकता है।

व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान मिलता है।

अशुभ प्रभाव:

अहंकार के कारण वैवाहिक तनाव।

जीवनसाथी अधिकारवादी या नियंत्रित करने वाला हो सकता है।

पति-पत्नी में सामंजस्य की कमी।

2. चंद्रमा (Chandra)

शुभ प्रभाव:

जीवनसाथी भावुक, कोमल हृदय और संवेदनशील होता है।

दांपत्य जीवन भावनात्मक रूप से संतुलित और मधुर रहता है।

अशुभ प्रभाव:

मन की चंचलता से वैवाहिक अस्थिरता।

जीवनसाथी अत्यधिक भावुक या मूडी हो सकता है।

3. मंगल (Mangal)

शुभ प्रभाव:

जीवनसाथी ऊर्जावान, साहसी और मजबूत इच्छाशक्ति वाला होता है।

विवाह के बाद तेज़ प्रगति।

अशुभ प्रभाव:

मंगली दोष की स्थिति में वैवाहिक कलह, गुस्सा, झगड़े संभव।

हिंसक प्रवृत्ति या आक्रामक स्वभाव जीवनसाथी में हो सकता है।

4. बुध (Budh)

शुभ प्रभाव:

जीवनसाथी चतुर, वाकपटु, व्यावहारिक और मित्रवत स्वभाव का होता है।

दांपत्य जीवन में संवाद अच्छा रहता है।

अशुभ प्रभाव:

तर्क-वितर्क की अधिकता से मानसिक दूरी।

भावनात्मक जुड़ाव की कमी।

5. बृहस्पति (Guru / Jupiter)

शुभ प्रभाव:

आदर्श जीवनसाथी, धार्मिक और नैतिक मूल्यों वाला।

स्त्रियों की कुंडली में उत्तम पति योग।

विवाह के बाद समृद्धि और सम्मान में वृद्धि।

अशुभ प्रभाव:

विवाह में देरी।

कभी-कभी आध्यात्मिकता के चलते सांसारिक जीवन से दूरी।

6. शुक्र (Shukra)

शुभ प्रभाव:

प्रेममय, आकर्षक, सौंदर्यप्रिय जीवनसाथी।

वैवाहिक जीवन में रोमांस और सुख की प्रधानता।

अशुभ प्रभाव:

विलासिता और भोग की अधिकता।

विवाहेतर संबंधों की संभावना।

7. शनि (Shani)

शुभ प्रभाव:

जीवनसाथी परिश्रमी, अनुशासित, स्थिर विचारों वाला होता है।

विवाह स्थायीत्व लिए होता है।

अशुभ प्रभाव:

विवाह में देरी।

वैवाहिक जीवन में ठंडापन, दूरी या जिम्मेदारियों का बोझ।

कभी-कभी अलगाव की स्थिति।

8. राहु (Rahu)

शुभ प्रभाव:

विदेशी या अनोखे जीवनसाथी का योग।

विवाह से अप्रत्याशित लाभ।

उच्च वर्ग से संबंध बनने की संभावना।

अशुभ प्रभाव:

भ्रम, धोखा, गलत निर्णय की संभावना।

विवाहेतर संबंध या गुप्त जीवन।

वैवाहिक जीवन में अचानक संकट।

9. केतु (Ketu)

शुभ प्रभाव:

आध्यात्मिक, शांत स्वभाव का जीवनसाथी।

सांसारिकता से विरक्ति वाला वैवाहिक जीवन।

अशुभ प्रभाव:

वैवाहिक जीवन में भावनात्मक दूरी या विरक्ति

 यहाँ सातवें भाव में 12 राशियों के संभावित शुभ और अशुभ प्रभाव दिए गए हैं:

1. मेष (Aries):

शुभ प्रभाव:

जीवनसाथी ऊर्जावान, साहसी और नेतृत्व क्षमता से भरपूर।

विवाह में गतिशीलता और उत्साह।

अशुभ प्रभाव:

झगड़ालू स्वभाव, गुस्सैल जीवनसाथी।

दांपत्य जीवन में टकराव की प्रवृत्ति।

2. वृषभ (Taurus):

शुभ प्रभाव:

सुंदर, स्थिर, भावनात्मक और विश्वसनीय जीवनसाथी।

वैवाहिक जीवन में सुख-सुविधाएँ और स्थिरता।

अशुभ प्रभाव:

जिद्दी या भौतिकवादी जीवनसाथी।

भोग-विलास की अधिकता।

3. मिथुन (Gemini):

शुभ प्रभाव:

चतुर, संवादप्रिय और मित्रवत जीवनसाथी।

संबंधों में अच्छा सामंजस्य और समझ।

अशुभ प्रभाव:

चंचल और निर्णयहीन जीवनसाथी।

संबंधों में अस्थिरता या दोहरा व्यवहार।

4. कर्क (Cancer):

शुभ प्रभाव:

संवेदनशील, देखभाल करने वाला जीवनसाथी।

घरेलू सुख और भावनात्मक जुड़ाव।

अशुभ प्रभाव:

अत्यधिक भावुकता और असुरक्षा की भावना।

वैवाहिक जीवन में मूड स्विंग्स का असर।

5. सिंह (Leo):

शुभ प्रभाव:

आत्मविश्वासी, वफादार और प्रभावशाली जीवनसाथी।

विवाह में गर्व और सम्मान।

अशुभ प्रभाव:

अहंकारी या नियंत्रण पसंद जीवनसाथी।

वैवाहिक जीवन में वर्चस्व की लड़ाई।

6. कन्या (Virgo):

शुभ प्रभाव:

व्यावहारिक, सेवाभावी और अनुशासित जीवनसाथी।

व्यवस्थित दांपत्य जीवन।

अशुभ प्रभाव:

अत्यधिक आलोचक या परफेक्शनिस्ट जीवनसाथी।

भावनात्मक ठंडापन।

7. तुला (Libra):

शुभ प्रभाव:

सौंदर्यप्रिय, मिलनसार और संतुलित जीवनसाथी।

प्रेमपूर्ण और सहयोगी संबंध।

अशुभ प्रभाव:

निर्णय लेने में झिझक; दूसरों को खुश करने की प्रवृत्ति से तनाव।

कभी-कभी अस्थिरता या दिखावा।

8. वृश्चिक (Scorpio):

शुभ प्रभाव:

गहरा जुड़ाव, वफादार और शक्तिशाली जीवनसाथी।

संबंधों में तीव्रता।

अशुभ प्रभाव:

ईर्ष्या, शक और नियंत्रण की प्रवृत्ति।

विवाह में गुप्त तनाव या मानसिक दबाव।

9. धनु (Sagittarius):

शुभ प्रभाव:

खुले विचारों वाला, आशावादी, धार्मिक जीवनसाथी।

वैवाहिक जीवन में स्वतंत्रता और आदर्शवाद।

अशुभ प्रभाव:

जिम्मेदारियों से बचने की प्रवृत्ति।

विवाह में अनुशासन की कमी।

10. मकर (Capricorn):

शुभ प्रभाव:

परिपक्व, जिम्मेदार और व्यावहारिक जीवनसाथी।

दीर्घकालिक स्थिर विवाह।

अशुभ प्रभाव:

भावनात्मक अभिव्यक्ति की कमी।

विवाह में कठोरता या दूरी।

11. कुंभ (Aquarius):

शुभ प्रभाव:

स्वतंत्र विचारों वाला, प्रगतिशील जीवनसाथी।

मित्रवत और सहयोगी वैवाहिक जीवन।

अशुभ प्रभाव:

व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अधिकता; भावनात्मक दूरी।

अपरंपरागत सोच से मतभेद।

12. मीन (Pisces):

शुभ प्रभाव:

सहानुभूतिशील, आदर्शवादी और समर्पित जीवनसाथी।

आध्यात्मिक और रोमांटिक संबंध।

अशुभ प्रभाव:

व्यवहार में अस्थिरता या अव्यवहारिक सोच।

रिश्तों में भ्रम या त्याग की अत्यधिक भावना।

(नीतेश तिवारी, एमसीए, एमएचए हैं और ज्योतिष शास्त्र के अच्छे जानकार हैं.)

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