फैसले में कहा गया है कि हसीना पर 2018–2024 के दौरान राजनीतिक विपक्ष, प्रदर्शनकारियों और असंतुष्टों के खिलाफ सुनियोजित दमन, अवैध निरोध, गायब किया जाना और सशस्त्र बलों के दुरुपयोग जैसे अपराधों की पर्याप्त पुष्टि हुई है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि इन कार्रवाइयों के दौरान सैकड़ों लोगों की मौत हुई और कई नागरिक अधिकारों का व्यवस्थित हनन किया गया। ट्रिब्यूनल ने उन्हें वर्ष 2024 के जुलाई माह में हुए छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टर माइंड बताया गया। उस आंदोलन के दौरान 1400 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में दूसरे आरोपी पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान खान को भी फांसी की सजा सुनाई गई है वहीं तीसरे आरोपी पूर्व आईजीपी अब्दुल्ला अल-ममून को 5 साल कैद की सजा सुनाई गई है।ममून इस मामले में सरकारी गवाह बन चुके हैं। शेख हसीना और असदुज्जमान खान पिछले साल तख्तापलट के बाद 5 अगस्त से ही भारत में रह रहे हैं।
कड़ी सुरक्षा के बीच फैसला, राजधानी हाई अलर्ट पर
फैसले से ठीक पहले ढाका में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई। प्रमुख इलाकों में रैपिड एक्शन बटालियन और पुलिस की अतिरिक्त कंपनियाँ तैनात रहीं। ट्रिब्यूनल परिसर के बाहर सैकड़ों लोग फैसले का इंतजार कर रहे थे। निर्णय के बाद ढाका और चिटगाँग सहित कई शहरों में हाई अलर्ट लागू कर दिया गया है।
हसीना ने फैसले को बताया पक्षपातपूर्ण, राजनीतिक साज़िश
सज़ा सुनाए जाने के तुरंत बाद शेख हसीना ने एक बयान जारी कर ट्रिब्यूनल के निर्णय को “biased (पक्षपातपूर्ण)”, “politically motivated (राजनीतिक साज़िश)” करार दिया। उनका कहना है कि यह मुकदमा एक “अनुचित और मनगढंत प्रक्रिया” के तहत चलाया गया, उनका पक्ष नहीं सुना गया। यह फैसला एक ऐसे ट्रिब्यूनल का है जिसे एक गैर निर्वाचित सरकार चला रही है। जिसे देश की नई अंतरिम सरकार और उसके समर्थक गुटों ने “राजनीतिक प्रतिशोध” के लिए इस्तेमाल किया।
राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया
फैसले के बाद बांग्लादेश के राजनीतिक वातावरण में तेज़ हलचल है। विपक्षी दलों ने फैसले को “जन आकांक्षा की पूर्ति” बताया है, जबकि हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं ने इसे “लोकतंत्र और न्याय प्रक्रिया की हत्या” कहा। हालात तनावपूर्ण हैं। सोशल मीडिया पर भी तेज़ बहस छिड़ी हुई है — कई लोग फैसले को ऐतिहासिक बता रहे हैं, वहीं बड़ी संख्या में नागरिक इसे अस्थिरता को बढ़ावा देने वाला कदम मान रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें ढाका पर
फैसले की गंभीरता को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब बांग्लादेश पर टिकी हैं। कई मानवाधिकार संगठनों ने ट्रिब्यूनल की पारदर्शिता और उसकी राजनीतिक तटस्थता पर सवाल उठाए हैं। हालाँकि, फैसले के बाद आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक सीमित है, लेकिन कूटनीतिक हलकों में इस पर व्यापक चर्चा शुरू हो गई है।
आगे क्या ?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, हसीना को उच्च अदालत में अपील का अवसर मिलेगा। तब तक फांसी की सज़ा पर अमल नहीं किया जाएगा। यह मुकदमा आने वाले दिनों में बांग्लादेश की राजनीति, स्थिरता और क्षेत्रीय समीकरणों को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
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