‘साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया’ सीज़न 2 में गूंजा भारत और दुनिया का संगीत

इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में भारत के पहले क्यूरेटेड संगीत शोकेस फेस्टिवल और वैश्विक सम्मेलन ‘साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया’ के दूसरे सीजन का समापन 12 नवम्बर को ऊर्जा, संवाद और संगीत से भरे माहौल में हुआ। तीन दिनों तक चले इस आयोजन ने भारत की संगीत विविधता, उद्योगगत संभावनाओं और वैश्विक नेटवर्किंग के लिए एक अनोखा मंच तैयार किया। इस फेस्टिवल का आयोजन इंडियन परफॉर्मिंग राइट्स सोसाइटी लिमिटेड (आईपीआरएस) ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किया, जबकि म्यूजीकनेक्ट इंडिया साझेदार संस्था के रूप में इसमें सहभागी रही।

Written By : डेस्क | Updated on: November 12, 2025 11:09 pm

‘साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया’ के दूसरे संस्करण ने अपने शीर्षक के अनुरूप पूरे परिसर को संगीत और अवसरों की गूंज से भर दिया। भारत और विदेश से आए कलाकारों, आयोजकों और फेस्टिवल बुकर्स ने इसे एक “ग्लोबल क्रिएटिव एक्सचेंज प्लेटफॉर्म” बना दिया। 15 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संगीत महोत्सवों के क्यूरेटर और बुकर की भागीदारी ने स्वतंत्र भारतीय कलाकारों के लिए वैश्विक मंचों तक पहुंच के नए रास्ते खोले।

तीसरे दिन की शुरुआत सुबह 10 बजे स्वागत संबोधन के साथ हुई, जिसके बाद प्रसिद्ध ऑडियो इंजीनियर और नेशनल अवॉर्ड विजेता के. जे. सिंह ने एक ज्ञानवर्धक सत्र प्रस्तुत किया, जिसका विषय था- ‘इंटेलिजेंट प्रोडक्शनः हाऊ एआई इज रिडिफाइनिंग म्यूजिक प्रोडक्शन।’

उन्होंने बताया कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) अब मिक्सिंग, मास्टरिंग, इक्वलाइज़िंग और रियल-टाइम साउंड करेक्शन जैसे स्टूडियो कार्यों में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। उन्होंने कहा कि एआई-आधारित टूल्स और प्लगइन्स न केवल रचनात्मकता और दक्षता बढ़ा रहे हैं, बल्कि संगीत निर्माण को पहले से अधिक सहज और सटीक बना रहे हैं।

इसके बाद हुए ‘फेस्टिवल स्पॉटलाइट’ सत्र में थाईलैंड के बिग माउंटेन फेस्टिवल, जॉर्डन के अम्मान जैज फेस्टिवल, जापान के फूजी रॉक फेस्टिवल, इंडोनेशिया के जावा जैज फेस्टिवल और फ्रांस के बाबेल म्यूजिक एक्सपी जैसे विश्व-प्रसिद्ध संगीत समारोहों की प्रस्तुतियाँ दी गईं। इस सत्र ने भारतीय कलाकारों को यह समझने का अवसर दिया कि वैश्विक मंचों पर संगीत कैसे सांस्कृतिक कूटनीति का माध्यम बन रहा है।

इसके बाद, “फ्रॉम लोकल टेलेंट टू ग्लोबल फोर्सः प्यूचर-रेडी स्ट्रेटीज फॉर क्रिएटिव ग्रोथ” विषय पर पैनल चर्चा में भारतीय संगीत उद्योग से जुड़े नामचीन प्रतिनिधि, जैसे- अर्पितो गोपे, शिबानी कश्यप, श्रीधर सिम्का, अंकुर कालरा और संस्कृति मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। चर्चा का संचालन ऐश्वर्या नटराजन ने किया। इस सत्र में रचनात्मक उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की रणनीतियों पर जोर दिया गया।

इसके बाद. ‘आईपी इन एक्शनः प्रोटेक्टिंग, प्रोमेटिंग एंड प्रॉफिटिंग फ्रॉम इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी’ नामक फायरसाइड चैट में एडीपी लॉ ऑफिसेज के संस्थापक अमित दत्ता और डीपीआईआईटी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. राघवेन्द्र जी.आर. ने बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) के संरक्षण, प्रचार और व्यावसायिक उपयोग के व्यावहारिक पहलुओं पर चर्चा की।

दोपहर में आयोजित कार्यशाला “इनसाइड द माइंड ऑफ ए फेस्टिवल बुकरः हाऊ टू गेट ऑन द लाइनअप” में डेवी गोंथा (जावा जैज फेस्टिवल, इंडोनेशिया) और डांका वैन डोडेवार्ड (एम्सटर्डम रूट्स फेस्टिवल, नीदरलैंड) ने कलाकारों को यह समझाया कि अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल में प्रस्तुति का अवसर पाने के लिए किन बातों और तैयारियों की आवश्यकता होती है।

संगीतमय समापन: भारतीय बैंड्स की प्रस्तुति

तीसरे दिन दोपहर 3 बजे से आईजीएनसीए के मंच पर देश के विभिन्न हिस्सों से आए बैंड्स ने अपनी प्रस्तुतियों से माहौल को संगीतमय बना दिया। पक्षी (दिल्ली), इंफाल टॉकीज़ (मणिपुर) और स्ट्रिंग्स इन मोशन (मुंबई) ने भारतीय ध्वनियों और आधुनिक संगीत शैलियों का शानदार संगम प्रस्तुत किया।

शाम 7:30 बजे से द पियानो मैन जैज क्लब (मालवीय नगर, नई दिल्ली) में आयोजित समापन कार्यक्रम में दर्शकों ने देश के सर्वश्रेष्ठ लाइव बैंड्स को एक मंच पर सुना। बोधिसत्व ट्रायो (कोलकाता), लक्ष्य (बेंगलुरु), वाइल्ड वाइल्ड वुमेन (मुंबई), पंचभूत (कोलकाता), बूमरैंग (आइजॉल, मिज़ोरम) और एसीक्यू की ऊर्जावान प्रस्तुतियों ने फेस्टिवल का शानदार समापन किया।

‘साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया’ का यह दूसरा सीजन न केवल भारतीय संगीत उद्योग की रचनात्मक क्षमता का प्रमाण है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि भारत वैश्विक संगीत मानचित्र पर अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है। यह आयोजन संगीत को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संवाद, नवाचार और सांस्कृतिक एकता के माध्यम के रूप में स्थापित करता है।

ये भी पढ़ें :-कविता भाषा का संगीत है, और संगीत ध्वनि की कविता है: जावेद अख्तर

One thought on “‘साउंडस्केप्स ऑफ़ इंडिया’ सीज़न 2 में गूंजा भारत और दुनिया का संगीत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *