कथा-लेखन से विद्यार्थियों में बढ़ती है कल्पना-शक्ति और सृजन-शीलता

रचनात्मक-प्रतिभा के विकास में कथा-लेखन की विशेष भूमिका होती है। इससे विद्यार्थियों में कल्पना-शक्ति और सृजन-शीलता विकसित होती है। प्रत्येक विद्यार्थी को कथा-लेखन में रूचि लेनी चाहिए।

बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में विद्यार्थियों के लिए कथा लेखन प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
Written By : डेस्क | Updated on: September 13, 2025 9:33 pm

इससे आंतरिक-प्रतिभा निखरती है। भाषा शुद्ध होती है और वाणी में शालीनता आती है। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में विगत १ सितम्बर से आयोजित हिन्दी पखवारा एवं पुस्तक चौदस मेला के १३वें दिन शुक्रवार को विद्यार्थियों के लिए आयोजित ‘कथा-लेखन-प्रतियोगिता’ का उद्घाटन करते हुए, सुप्रसिद्ध कथाकार और आकाशवाणी के पूर्व सहायक निदेशक डा किशोर सिन्हा ने ये बातें कहीं।

सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित उद्घाटन-समारोह में निर्णायक-मंडल के सदस्य प्रो एस एन आर्या, डा प्रियंका सिंह, प्रतियोगिता आयोजन समिति के संयोजक ईं अशोक कुमार, सम्मेलन के प्रबंध मंत्री कृष्ण रंजन सिंह ने भी मार्ग-दर्शन किया।

प्रतियोगिता में, ‘किलकारी बाल भवन’ विद्यालय, सैदपुर, बी डी पब्लिक स्कूल, कार्मेल हाई स्कूल, पटना, पी एन एंगलो संस्कृत विद्यालय, पटना, रवीन्द्र बालिका विद्यालय, राजेंद्र नगर, पटना विद्यार्थियों गणपत हिमांशु, वैष्णवी कुमारी, आरती वर्मा, आयुषी कुमारी, शादाब अख़्तर, प्रशंसा दीवान, निशा कुमारी, प्रिया कुमारी, रौशन कुमार, अभिजीत, नैतिक शुक्ला, आदित्य अग्रवाल आदि ने भाग लिया।

पखवारा के १४वें दिन कल १४ सितम्बर को ‘हिन्दी-दिवस समारोह’ आयोजित होगा, जिसमें १४ हिन्दी-सेवियों को सम्मानित किया जाएगा ।

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