सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: धार्मिक स्थलों के सर्वे पर रोक, केंद्र को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्थलों के सर्वे पर रोक लगा दी है और केंद्र को जवाब देने का आदेश दिया है। यह फैसला ज्ञानवापी, मथुरा जैसे विवादों पर असर डाल सकता है।

Written By : Md Tanzeem Eqbal | Updated on: December 12, 2024 10:53 pm

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को धार्मिक स्थलों, खासकर मस्जिदों के सर्वेक्षण पर रोक लगा दी है। यह फैसला तब आया जब न्यायालय ने प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की कुछ धाराओं को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी समेत कुल छह याचिकाएं अदालत में पेश की गईं। इनमें मुख्य याचिका 2020 में दायर की गई थी, जिस पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया था, लेकिन सरकार ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया।

दूसरी ओर, कुछ याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को लागू कराने की मांग की है। इनमें शरद पवार की एनसीपी के जितेंद्र आव्हाड, आरजेडी के मनोज कुमार झा और तमिलनाडु की डीएमके जैसे दल शामिल हैं।

अदालत का आदेश

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की विशेष पीठ ने निचली अदालतों को निर्देश दिया कि वे धार्मिक स्थलों से संबंधित किसी भी नए मामले में कोई आदेश न दें।

यह रोक ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा शाही ईदगाह और संभल मस्जिद जैसे मामलों पर भी लागू होगी, जहां हिंदू पक्षकारों ने दावा किया है कि ये मस्जिदें मंदिरों को तोड़कर बनाई गई थीं।

चार हफ्तों की रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह रोक अगली सुनवाई तक लागू रहेगी, जो चार हफ्तों बाद होगी। तब तक केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करना होगा। अदालत ने कहा, “जब तक यह मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक कोई नई कार्रवाई नहीं होगी।”

यूपी में बढ़ता विवाद

यह फैसला उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के बीच आया है। वहां अदालत के आदेश पर मस्जिद का सर्वे किया जा रहा था, जिसके बाद सांप्रदायिक झड़पों में पांच लोगों की मौत हो गई।

संभल हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को हिंसा पीड़ितों से मिलने से रोक दिया गया था।

इसके अलावा, पिछले सप्ताह बांदा-बहराइच हाईवे पर 185 साल पुरानी एक मस्जिद का हिस्सा गिरा दिया गया। जिला प्रशासन ने इसे अवैध निर्माण बताया, जबकि मस्जिद कमेटी ने दावा किया कि मस्जिद 1839 में बनी थी और सड़क 1956 में बनी।

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इस मामले ने राजनीतिक घमासान मचा दिया है। विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी सरकार धार्मिक स्थलों के मुद्दे को तूल देकर समाज में विभाजन पैदा कर रही है। वहीं, बीजेपी का कहना है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण से जुड़े मामलों में फिलहाल राहत मिली है और केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया गया है।

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