सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश के तहत केंद्र सरकार को सात दिनों के अंदर इस कानून पर अपना जवाब देना होगा। इसके बाद अगले 5 दिनों में याचिकाकर्ताओं की ओर से उसक जवाब दाखिल करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पीवी संजय और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने वक्फ संशोधित कानून के खिलाफ दायर 70 याचिकाओं पर सुनवाई करने के बजाय 5 याचिकाओं पर ही सुनवाई करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश में जो निर्देश दिए हैं उसे याचिकाकर्ता बड़ी राहत के रूप में देख रहे हैं। शीर्ष अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि वक्फ पर केंद्र सरकार का जवाब आने तक वक्फ संपत्ति की स्थिति नहीं बदली जाए। अदालत से जो संपत्ति वक्फ की घोषित की गई है उसमें अभी कोई बदलाव नहीं होगा और तीसरा है कि वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश को चायिकाकर्ताओं की ओर से अहम माना जा रहा है। दूसरी बात कि 70 याचिकाओं की जगह पांच पर ही सुनवाई करने के पीठ के फैसले को इस नजरिए से देखा जा रहा है कि पीठ इस मामले को वर्षों सुनवाई के नाम पर लटकाना नहीं चाहती है। सुनवाई के अहम बिंदुओं में वक्फ बोर्ड में गैर मुसलमानों को शामिल करने पर की गई आपत्ति भी शामिल है। मुस्लिम पक्ष के वकीलों का कहना है कि यह संशोधन मुस्लिम पक्ष के साथ भेदभाव करता है। उल्लेखनीय है कि मुस्लिम पक्ष की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिघवी, राजीव धवन और सीयू सिंह दलीलें पेश कर रहे हैं जबकि केंद्र सरकार की ओर पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हो रहे हैं।
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