‘बुलडोज़र एक्शन’ पर Supreme court की सख्त चेतावनी

supreme-court ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि एक व्यक्ति के अपराध के आधार पर उसके पूरे परिवार को सजा देना संविधान और न्यायशास्त्र के खिलाफ है। कोर्ट ने 'बुलडोज़र एक्शन' के खिलाफ सख्त दिशा-निर्देश जारी किए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्दोष परिवारों को कोई नुकसान न पहुंचे।

बुलडोज़र एक्शन' पर Supreme court की सख्त चेतावनी
Written By : MD TANZEEM EQBAL | Updated on: November 14, 2024 8:09 am

Supreme court ने बुधवार को एक अहम आदेश जारी करते हुए कहा कि एक व्यक्ति के अपराध के कारण उसके पूरे परिवार का घर तोड़ना ‘सामूहिक सजा’ के समान होगा, जो संविधान के तहत बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह टिप्पणी उन मामलों में की गई है, जहां एक व्यक्ति के अपराध में शामिल होने के आधार पर उसके घर को ध्वस्त कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा, “जीने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। जैसा कि पहले बताया गया है, कानून के दायरे में, आश्रय का अधिकार भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक अहम अधिकार है।” कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि अगर एक इमारत में कई परिवार रहते हैं, तो क्या उस इमारत को केवल इस कारण से तोड़ा जा सकता है कि उसमें रहने वाला एक व्यक्ति अपराध में शामिल है।

संविधान और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ

Supreme court ने अपने फैसले में यह भी कहा कि किसी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक उसे दोषी साबित नहीं किया जाता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति के परिवार के अन्य सदस्य अपराध से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े नहीं हैं, तो पूरे परिवार को सजा देना और उनका आश्रय छीनना संविधान के खिलाफ होगा। यह ‘सामूहिक सजा’ देने जैसा होगा, जो न्याय के सिद्धांतों से मेल नहीं खाता।

इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति वी. आर. कृष्ण अय्यर के विचारों का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था, “हमने सामूहिक दोष और सामूहिक सजा के सिद्धांत को नकारा है और यह कहा है कि किसी व्यक्ति को केवल उसके अपने अपराध के लिए सजा दी जानी चाहिए।”

‘बुलडोज़र एक्शन’ पर सख्त दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सरकारी अधिकारियों को ‘बुलडोज़र एक्शन’ जैसे कदम उठाने से पहले पूरी जांच करने की सलाह दी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल वही लोग दंड के पात्र हैं, जो अपराध से सीधे जुड़े हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति या परिवार को इस प्रकार के कदमों से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।

यह आदेश उन मामलों के संदर्भ में आया है, जहां राज्य सरकारें अपराधियों के घरों को तोड़ने के लिए ‘बुलडोज़र एक्शन’ का सहारा ले रही थीं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल एक व्यक्ति के अपराध के कारण पूरे परिवार को परेशान नहीं किया जा सकता और न ही उनका आश्रय छिना जा सकता है।

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