महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री (Maharashtra CM) पद को लेकर सस्पेंस जारी है। 14वीं विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो चुका है और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपना इस्तीफा दे दिया है। लेकिन बीजेपी नेतृत्व वाले गठबंधन ने अब तक यह तय नहीं किया है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
बीजेपी बनाम शिवसेना: किसका पलड़ा भारी?
मुख्यमंत्री (Maharashtra CM) पद के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी का समर्थन मिल रहा है, जबकि शिवसेना के विधायक चाहते हैं कि एकनाथ शिंदे इस पद पर बने रहें। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने फडणवीस का समर्थन करने की बात कही है।
महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटों में से बीजेपी के पास 132, शिवसेना के पास 57 और एनसीपी के पास 41 विधायक हैं। इसका मतलब है कि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए अपने दोनों सहयोगियों में से केवल एक का समर्थन चाहिए। इससे शिंदे के पास मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए कम विकल्प बचते हैं।
शिंदे गुट का समर्थन और अपील
एकनाथ शिंदे के समर्थन में शिवसेना के कुछ नेताओं ने मुख्यमंत्री आवास ‘वर्षा’ के बाहर प्रदर्शन करने की योजना बनाई थी। हालांकि, शिंदे ने इस पर अपील करते हुए कहा, “महायुति गठबंधन की ऐतिहासिक जीत के बाद राज्य में हमारी सरकार फिर से बनेगी। हमने साथ मिलकर चुनाव लड़ा और आज भी हम साथ हैं। मैं अपने समर्थकों से अपील करता हूं कि वे इस तरह के प्रदर्शन से बचें।”
बीजेपी का पक्ष और आरएसएस का रुख
बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि जनता ने देवेंद्र फडणवीस के पक्ष में जनादेश दिया है। “महाराष्ट्र को एक कुशल और पढ़े-लिखे नेता की जरूरत है। फडणवीस ने गठबंधन को एकजुट रखा और अपने सहयोगियों के हितों का ध्यान रखा।”
सूत्रों के मुताबिक, आरएसएस भी फडणवीस के पक्ष में है। अगले साल आरएसएस का शताब्दी वर्ष है, और संघ महाराष्ट्र में बीजेपी का मुख्यमंत्री चाहता है।
क्या दोहराएगा 2019 का इतिहास?
2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद के चलते गठबंधन टूट गया। शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसे बाद में शिंदे के बगावत के चलते गिरा दिया गया।
अब शिंदे फिर से ऐसी स्थिति में हैं, लेकिन इस बार बीजेपी को शिवसेना के समर्थन की जरूरत नहीं है। अजित पवार की एनसीपी पहले ही बीजेपी के पक्ष में है।
अगले कदम पर सबकी नजर
मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसले में देरी से अटकलें लगाई जा रही थीं कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। हालांकि, विधानसभा अधिकारियों ने इन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है।
अब सबकी नजरें बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के बीच होने वाले निर्णय पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
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