Switzerland Peace summit : यूक्रेन की अखंडता बनी रहने पर सहमति

स्विट्जरलैंड ( Switzerland) में दो दिन चले शांति शिखर सम्‍मेलन (peace summit) में लगभग 80 देशों ने इस बात पर सहमति व्‍यक्‍त की कि यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता ( territorial integrity” of Ukraine ) बनी रहनी चाहिए और शांति की कोई पहल इसे ध्‍यान में रखते हुए की जानी चाहिए। भारत ने इस शांति वक्‍तव्‍य ( Peace statement) पर हस्‍ताक्षर नहीं किए। उसका कहना था कि वह दोनों पक्षों की सहमति होने के बाद ही किसी वक्‍तव्‍य पर हस्‍ताक्षर करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की
Written By : रामधनी द्विवेदी | Updated on: June 17, 2024 11:39 am

Switzerland Peace summit में सौ से अधिक देशों ने भाग लिया जिसमें अधिकतर यूरोपीय देश थे। ब्राजील( Brazil) पर्यवेक्षक ( Observer)  के रूप में शामिल था। उसने भी संयुक्‍त वक्‍तव्‍य ( Joint statement)  पर हस्‍ताक्षर नहीं किया। सम्‍मेलन में रूस और चीन ने भाग नहीं लिया। हस्‍ताक्षर न करने वालों में मेक्सिको,सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, यूएई, थाईलैंड, इंडोनेशिया आदि भी थे। तुर्की ने हस्‍ताक्षर किए।

दूसरे शांति सम्‍मेलन की भी तैयारी 

यू‍क्रेन के राष्‍ट्रपति ( Ukrainian President Volodymyr Zelenskyy)  वोलोदमिर जेलेंस्‍की ने इसे शांति की दिशा में पहला कदम बताया। उन्‍होंने यह भी कहा कि वह ऐसे देश के संपर्क में हैं जो दूसरे शांति सम्‍मेलन की मेजबानी कर सकता है। उन्‍होंने  न देश का नाम और न ही कोई अन्‍य डिटेल बताया। उन्‍होंने बताया कि राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आगे बात कर इसके लिए विस्‍तृत कार्ययोजना ( Detail Plan) तय करेंगे।

वैकल्पिक रास्‍ते की तलाश 

रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन ( President Putin) ने यह कहते हुए Switzerland Peace summit में भाग नहीं लिया था कि इससे कोई नतीजा नहीं निकलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि शांति तत्‍काल संभव भी नहीं है क्‍यों कि रूस इसके प्रति गंभीर नहीं है। चीन और ब्राजील का कहना है कि  शांति के लिए वैकल्पिक रास्‍ते ( Alternative ways)  की तलाश की जानी चाहिए। संयुक्‍त वक्‍तव्‍य (Joint statement) पर जिन देशों ने हस्‍ताक्षर नहीं किए उनका मानना है कि कोई भी रास्‍ता दोनों पक्षों की सहमति से ही निकलना चाहिए। इसमें रूस का पक्ष भी शामिल होना चाहिए। निरपेक्ष रहने का यह  तरीका भी गलत नही हैं।

रूस चाहता है यूक्रेन का आत्‍मसमर्पण 

कुछ लोगों का मानना है कि रूस यूक्रेन से आत्‍मसमर्पण ( capitulation) चाहता है । वह जीते हुए क्षेत्रों को अपने पास रखना चाहता है। वह उन कुछ क्षेत्रों को भी चाहता है जिसपर उसका अधिकार नहीं है। यह कैसे हो सकता है। वह यह भी चाहता है कि यूक्रेन को हथियार न मिलें जिससे वह भविष्‍य में जब चाहे उस पर हमला कर सके। भला ऐसा कैसे हो सकता है।

गाजा युद्ध की प्रतिध्‍वनि 

सम्‍मेलन में गाजा युद्ध की प्रतिध्‍वनि भी देखी गई। संयुक्‍त वक्‍तव्‍य (Joint statement) में परमाणु सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और कैदियों की अदला बदली की भी बात है। इटली की प्रधान मंत्री जियोर्जिया मैलनी ने कहा कि रूस के साथ वार्ता के लिए ये न्‍यूनतम शर्तें हैं। युद्ध की स्थिति में ऐसा होता है। रूस परमाणु विकल्‍प की चेतावनी पहले ही दे चुका है और यूक्रेन के अनाज निर्यात पर भी अड़चने डाल चुका है। ये अनुभव गाजा में हो रहे युद्ध के भी हैं।

यूक्रेनी बच्‍चों का प्रत्‍यर्पण  

इस बीच कातार के प्रधानमंत्री ( Qutar Prime Minister)   ने बताया कि उनके देश ने यूक्रेन और रूसी प्रतिनिधियों से बात कर यूक्रेनी बच्‍चों को उनके परिवारों से मिलाने के तरीकों पर बात हुई। अभी तक 34 बच्‍चों को उनके परिवारों से मिलाया गया है। यूक्रेन का मानना है कि 19, 546 बच्‍चों को बलपूर्वकर दूसरे देश भेज दिया गया है या एक जगह से हटा कर दूसरी जगह रख दिया गया है। रूस ने भी माना है कि दो हजार बच्‍चों को यूक्रेनी अनाथालयों से लेकर सुरक्षित रखा गया है।

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